देश में लोग अब अपनी सेहत को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क हो गए हैं. सफर के दौरान भी आम जनता स्वास्थ्य के लिए अच्छे भोजन और पेय की मांग करती है. इन्हीं जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक नया प्रयास शुरू किया जा रहा है.
हल्दी बोर्ड के अध्यक्ष पी. गंगा रेड्डी ने अंग्रेजी अखबार द बिजनेसलाइन से बातचीत में जानकारी दी कि गोल्डन मिल्क के रूप में ब्रांडेड हल्दी वाला दूध अब ट्रेनों और विमानों में उपलब्ध कराने पर विचार किया जा रहा है. इससे दोहरे लाभ की उम्मीद है.
पहला, यात्रियों को पोषण से भरपूर दूध मिलेगा. दूसरा, हल्दी के उत्पादन से जुड़े किसानों की कमाई में इजाफा होगा. रेड्डी ने बताया कि मौजूदा समय में हल्दी का निर्यात 1,876 करोड़ रुपये का है, जिसे 2030 तक बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा, घरेलू बाजार को भी बढ़ाने की योजनाएं बनाई जा रही हैं, जिनमें गोल्डन मिल्क एक प्रमुख पहल है.
गंगा रेड्डी ने किसानों से हाई-कर्क्यूमिन किस्मों की खेती पर ध्यान देने की अपील की. उन्होंने कहा, “कीटनाशकों के अवशेष और भारी धातुओं की मिलावट के कारण भारत का हल्दी निर्यात ग्लोबल बाजारों में बाधित हो रहा है. वैज्ञानिकों को इस चुनौती से निपटना होगा और किसानों को इससे उबरने में मदद करनी होगी.”
राजमुंदरी में हल्दी कॉन्क्लेव में चर्चा
रेड्डी शुक्रवार को राजमुंदरी में एक हल्दी से जुड़े कॉन्क्लेव में बोल रहे थे, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत आयोजित किया गया था. उन्होंने बताया कि हल्दी पूरे देश में अलग-अलग रूपों में उगाई जाती है, केवल गोवा ऐसा राज्य है जहां इसकी खेती नहीं होती.
रेड्डी ने हल्दी की खेती में आने वाली ऊंची लागत पर भी चिंता जताई और वैज्ञानिकों से लागत कम करने वाली तकनीकों के विकास की मांग की, जिससे किसानों को राहत मिल सके.
हल्दी का GI टैग और निर्यात लक्ष्य
NIRCA के निदेशक मगंती शेषु माधव ने कहा कि भारत हल्दी की विभिन्न किस्मों का घर है, जिनमें से छह किस्मों को पहले ही भौगोलिक संकेत (GI) टैग मिल चुका है. उन्होंने बताया, “NIRCA का लक्ष्य है कि अगले पांच सालों में हल्दी का निर्यात 1.6 लाख टन से बढ़ाकर 2.7 लाख टन तक किया जाए.”