अगर आपने कभी खेतों में चलते हुए ट्रैक्टर को गौर से देखा हो, तो आपने जरूर नोटिस किया होगा कि इसके आगे के टायर छोटे और पीछे के टायर बड़े होते हैं. यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि ट्रैक्टर की परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने के लिए किया गया एक खास डिजाइन है. इस डिजाइन से ट्रैक्टर न सिर्फ खेतों में अच्छा काम करता है, बल्कि यह किसानों के लिए भी ज्यादा फायदेमंद साबित होता है. आइए, जानते हैं इसके पीछे का कारण.
वजन का सही संतुलन
ट्रैक्टर का ज्यादातर वजन उसके पिछले हिस्से में होता है, क्योंकि वहीं इंजन और ट्रांसमिशन सिस्टम मौजूद होते हैं. अगर आगे के टायर भी बड़े होते, तो ट्रैक्टर का संतुलन बिगड़ सकता था और चलाना मुश्किल हो जाता. बड़े पिछले टायर वजन को सही तरीके से संतुलित करते हैं, जिससे ट्रैक्टर आराम से काम कर पाता है.
बेहतर पकड़ और ज्यादा ताकत
खेती में जुताई, हल चलाना और भारी सामान खींचना जैसे काम ट्रैक्टर की पकड़ और ताकत पर निर्भर करते हैं. बड़े पिछले टायर का सतह क्षेत्र ज्यादा होता है, जिससे ट्रैक्टर की ग्रिप मजबूत बनती है और इंजन की ताकत जमीन तक अच्छे से पहुंचती है. इससे ट्रैक्टर बिना फिसले या धंसे, आसानी से खेत में काम कर सकता है.
मिट्टी की सुरक्षा
किसानों के लिए मिट्टी की सेहत बनाए रखना बेहद जरूरी होता है. अगर ट्रैक्टर के सभी टायर बड़े और भारी होते, तो वे मिट्टी को ज्यादा दबा सकते थे, जिससे फसलों की जड़ों को नुकसान पहुंच सकता था. छोटे आगे के टायर कम दबाव डालते हैं, जिससे मिट्टी ज्यादा कड़ी नहीं होती और फसलों की बढ़त अच्छी रहती है.
स्टियरिंग कंट्रोल
छोटे आगे के टायर ट्रैक्टर को मोड़ने में मदद करते हैं. खेतों में ट्रैक्टर को कई बार तंग जगहों से गुजरना पड़ता है या तेजी से मोड़ना पड़ता है. छोटे टायर स्टियरिंग को हल्का और आसान बनाते हैं, जिससे ट्रैक्टर ज्यादा फुर्तीला बन जाता है और किसान उसे आसानी से कंट्रोल कर सकता है.
हर काम में मददगार
ट्रैक्टर सिर्फ खेत जोतने के लिए ही नहीं, बल्कि ट्रॉली खींचने, बोआई करने और फसल कटाई जैसे कई कामों के लिए इस्तेमाल होता है. अलग-अलग साइज के टायर होने से यह सभी कामों के लिए बेहतर ढंग से काम कर सकता है.
ज्यादा स्थिरता और सुरक्षा
बड़े पिछले टायर ट्रैक्टर का गुरुत्वाकर्षण केंद्र (Center of Gravity) नीचे रखते हैं, जिससे यह पलटने की संभावना कम हो जाती है. जब ट्रैक्टर ऊबड़-खाबड़ जगहों पर चलता है या भारी मशीनरी खींचता है, तो यह स्थिरता और भी जरूरी हो जाती है.
ईंधन की बचत
छोटे आगे के टायर और बड़े पीछे के टायर की यह जोड़ी ट्रैक्टर के वजन और ताकत के अनुपात को संतुलित रखती है. इससे इंजन पर ज्यादा जोर नहीं पड़ता और ट्रैक्टर कम ईंधन में ज्यादा काम कर सकता है, जिससे किसानों के खर्चे में बचत होती है.
कम निर्माण लागत
इस डिजाइन से ट्रैक्टर की स्टियरिंग प्रणाली सरल हो जाती है, जिससे मैन्युफैक्चरिंग आसान और किफायती होती है. इसका फायदा किसानों को ट्रैक्टर की कीमत कम होने के रूप में मिलता है.
बेहतर परफॉर्मेंस
खेती में नरम मिट्टी से लेकर ऊबड़-खाबड़ और ढलानदार इलाकों तक, हर तरह की जमीन होती है. बड़े पिछले टायर ट्रैक्टर को सभी परिस्थितियों में स्थिर बनाए रखते हैं और यह हर तरह की जमीन पर अच्छे से काम कर पाता है.
संकरी जगहों में भी सहायक
कुछ ट्रैक्टर खासतौर पर बाग-बगीचों और अंगूर के बागों जैसे स्थानों के लिए बनाए जाते हैं. छोटे आगे के टायर इन्हें तंग रास्तों में भी आसानी से चलने और घुमाने में मदद करते हैं, जिससे किसान बिना किसी परेशानी के खेती कर सकते हैं.