ट्रैक्टर किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं. ये ताकतवर मशीनें खेतों में कई तरह के काम आसान बना देती हैं. लेकिन ट्रैक्टर की असली ताकत उसके टायरों में होती है, जो रोजाना ऊबड़-खाबड़ रास्तों और भारी भार का सामना करते हैं. अगर टायर समय से पहले घिस जाएं, तो किसानों को न सिर्फ महंगा बदलाव कराना पड़ता है, बल्कि उनके काम में भी रुकावट आती है. इसलिए ट्रैक्टर के टायरों की सही देखभाल करना बहुत जरूरी है, जिससे उनकी उम्र लंबी हो और वे अच्छे से काम करते रहें. आइए जानते हैं कैसे ट्रैक्टर के टायरों की उम्र को बढ़ाया जा सकता है.
ट्रैक्टर टायर की उम्र कितनी होती है?
ट्रैक्टर टायरों की लाइफ उनके रखरखाव, इस्तेमाल की जाने वाली जमीन, ट्रैक्टर पर लोड और टायर की गुणवत्ता पर निर्भर करती है. अगर सही तरीके से देखभाल की जाए, तो ट्रैक्टर के टायर आमतौर पर 1,500 से 2,500 घंटे तक चलते हैं. लेकिन अगर सही रखरखाव न किया जाए, तो ये जल्दी खराब भी हो सकते हैं.
टायरों की नियमित जांच करें
अगर आप चाहते हैं कि आपके ट्रैक्टर के टायर ज्यादा दिनों तक टिके रहें, तो उनकी नियमित जांच बहुत जरूरी है. हर दिन ट्रैक्टर का इस्तेमाल करने से पहले और बाद में टायरों को अच्छी तरह देखें. टायरों में कट, उभार, या किसी नुकीली चीज जैसे कील या पत्थर फंसे हों, तो उन्हें तुरंत हटाएं. इसके अलावा, टायर का प्रेशर भी समय-समय पर चेक करें, क्योंकि गलत हवा का दबाव टायर को असमान रूप से घिसने और जल्दी खराब होने का कारण बन सकता है.
सही हवा का दबाव और लोड मैनेजमेंट
ट्रैक्टर टायरों में सही मात्रा में हवा का होना बेहद जरूरी है. अगर टायर में हवा कम होगी, तो जमीन से ज्यादा संपर्क होगा, जिससे घर्षण बढ़ेगा और टायर जल्दी घिस जाएगा. साथ ही हवा ज्यादा होगी, तो टायर का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे पकड़ कमजोर हो जाएगी और टायर जल्दी खराब होगा.
टायरों को समय-समय पर घुमाएं
ट्रैक्टर के आगे और पीछे के टायर अलग-अलग दबाव और काम के हिसाब से घिसते हैं. अगर टायरों को नियमित रूप से बदला (रोटेट) न किया जाए, तो कुछ टायर जल्दी घिस जाते हैं. इसलिए, समय-समय पर टायरों की जगह बदलते रहना जरूरी होता है. इससे टायर का घिसाव समान रूप से होता है और उनकी उम्र बढ़ जाती है.
व्हील बैलेंसिंग बनाए रखें
बहुत से किसान टायरों की बैलेंसिंग पर ध्यान नहीं देते, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण पहलू है. अगर ट्रैक्टर के टायर संतुलित नहीं होंगे, तो वे असमान रूप से घिसेंगे और जल्दी खराब हो सकते हैं. अनबैलेंस्ड व्हील्स से टायर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे गाड़ी हिलने लगती है और डीजल की खपत भी बढ़ जाती है.
टायरों को धूप से बचाएं
ट्रैक्टर के टायर लगातार सूरज की रोशनी के संपर्क में आते हैं, जिससे उनमें दरारें पड़ सकती हैं. जब ट्रैक्टर का इस्तेमाल न हो रहा हो, तो उसे किसी छायादार जगह पर रखें. अगर संभव हो, तो टायरों को UV प्रोटेक्शन कवर से ढककर रखें, ताकि वे ज्यादा समय तक अच्छे बने रहें.
खराब रास्तों से बचें
अगर ट्रैक्टर को तेजी से घुमाया जाए या लगातार पथरीली सतहों पर चलाया जाए, तो टायर जल्दी खराब हो सकते हैं. कोशिश करें कि खेतों में ट्रैक्टर को धीरे और आराम से चलाएं, ताकि टायरों पर ज्यादा दबाव न पड़े.
सफाई और देखभाल करें
खेत में काम करने के बाद ट्रैक्टर के टायरों की सफाई बहुत जरूरी है. टायरों में फंसे कीचड़, पत्थर और दूसरी चीजों को तुरंत हटा दें, ताकि टायर ठीक से संतुलित रहें. टायर के वाल्व और रिम पर हल्का लुब्रिकेंट लगाएं, जिससे वे जंग से बचे रहें और टायर अच्छी स्थिति में बने रहें.
विशेषज्ञ की सलाह लें
अगर टायर में कोई समस्या आती है, तो खुद उसे ठीक करने की बजाय किसी विशेषज्ञ की सलाह लेना अच्छा रहेगा. किसी भी तरह की बड़ी समस्या के लिए प्रशिक्षित तकनीशियन की मदद लें, ताकि टायरों को सही समय पर रिपेयर किया जा सके.