खेतों में पसीना बहाने वाले किसानों के लिए कंबाइन मशीन किसी जादुई यंत्र से कम नहीं. ये मशीन न सिर्फ फसलों की कटाई को आसान बनाती है, बल्कि समय और मेहनत की भी भारी बचत करती है. चाहे गेहूं हो, धान हो या सरसों, ये मशीन हर तरह की फसल को चुटकियों में काटकर तैयार कर देती है. तो चलिए, इस कमाल की मशीन के बारे में जानते हैं.
कंबाइन हार्वेस्टर क्या है?
कंबाइन एक ऐसी मशीन है जो फसल की कटाई, दाने अलग करना (थ्रेसिंग) और भूसे से दाना छांटना (विनोइंग), ये तीनों काम एक साथ करती है. इसका इस्तेमाल गेहूं, धान, मक्का, जौ और ओट्स जैसी फसलों की कटाई में किया जाता है. इससे किसानों को अलग-अलग औजारों की जरूरत नहीं पड़ती और कम समय व मेहनत में फसल कटाई हो जाती है.
जहां-जहां धान की खेती ज्यादा होती है, वहां खास ‘राइस हार्वेस्टर’ का इस्तेमाल होता है. ये मशीनें गीली और कीचड़ वाली जमीन के हिसाब से बनाई जाती हैं ताकि आसानी से काम कर सकें.
कंबाइन हार्वेस्टर कैसे काम करता है?
कंबाइन हार्वेस्टर तीन काम एक साथ करता है-
1. कटाई- मशीन का अगला हिस्सा (हेडर) चलने पर फसल काटता है.
2. थ्रेसिंग- मशीन फसल से दाने अलग करती है.
3. विनोइंग-भूसे और कचरे से दाने छांटे जाते हैं.
इससे खेत के बड़ी हिस्से को एक बार में काटा जा सकता है, जिससे समय और मेहनत दोनों की बचत होती है.
कैसे शुरू हुई इसकी कहानी?
कंबाइन का इतिहास भी कम रोचक नहीं. 19वीं सदी में जब किसान घोड़ों की मदद से फसल काटते थे, तब पहली बार ऐसी मशीन का आविष्कार हुआ. उसके बाद 1836 में मिशिगन में एक घोड़ा-चालित मशीन आई, जिसने कटाई और थ्रेशिंग का काम शुरू किया. फिर आया साल 1930 का दशक. इस दशक में ट्रैक्टर से चलने वाली मशीनें आईं. उसके बाद 1940 के दशक में स्व-चालित मशीनों ने बाजार में धूम मचा दी. आज की कंबाइन मशीनें इतनी स्मार्ट हैं कि कई तरह की फसलों को आसानी से संभाल लेती हैं.
क्यों है ये किसानों के लिए खास?
कंबाइन मशीन समय और मेहनत दोनों बचाती है. पहले जहां हफ्तों लगते थे, अब कुछ घंटों में काम हो जाता है. ये मशीन छोटे और बड़े दोनों किसानों के लिए फायदेमंद है. साथ ही, यह फसल की बर्बादी को भी कम करती है. इसकी सबसे खास बात यह है कि हर फसल को बखूबी संभाल लेती है.