बिहार में कृषि मशीनरी को लेकर दी जाने वाली सब्सिडी योजना एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है. किसानों और यंत्र विक्रेताओं की शिकायतों के बाद राज्य सरकार ने अनुदान भुगतान प्रक्रिया की समीक्षा का निर्णय लिया है. यह ऐलान राज्य के उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने सीतामढ़ी और बक्सर में आयोजित किसान कल्याण संवाद एवं युवा किसान सम्मान समारोह के दौरान किया.
सब्सिडी भुगतान प्रणाली में बदलाव की मांग
कार्यक्रम के दौरान किसानों ने कृषि यंत्र अनुदान योजना से जुड़ी समस्याएं और सुझाव सीधे उप मुख्यमंत्री के सामने रखे. कार्यक्रम में उपस्थित कृषि यंत्र विक्रेताओं ने अनुरोध किया कि कृषि यंत्रों के क्रय पर अनुदान का भुगतान वर्तमान में निर्माता को न कर, सीधे विक्रेताओं को कराया जाए. उनका कहना था कि इससे किसानों को मशीनें जल्दी और आसानी से मिल सकेंगी.
उप मुख्यमंत्री ने समीक्षा के निर्देश दिए
विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि किसानों और विक्रेताओं के सुझावों पर गंभीरता से विचार होगा और अनुदान भुगतान व्यवस्था में जरूरी बदलाव किए जाएंगे. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसानों को किसी भी स्तर पर असुविधा नहीं होने दी जाएगी.
कृषि यंत्र अनुदान प्रक्रिया में तीन बार बदलाव
उप मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि साल 2015-16 तक कृषि यंत्र विक्रेताओं को सीधे सब्सिडी दी जाती थी. इसके बाद 2016-17 से 2019-20 के बीच किसानों के बैंक खातों में सीधे अनुदान राशि ट्रांसफर की जाने लगी. फिर 2020-21 से एक नई व्यवस्था लागू हुई, जिसमें किसान को यंत्र खरीदते समय केवल अपना अंश देना होता है और सत्यापन के बाद शेष राशि निर्माता को मिलती है. सरकार का दावा रहा है कि इन बदलावों का मकसद पारदर्शिता और किसानों को बेहतर सुविधा देना था.
हालांकि, जमीनी स्तर से आ रही शिकायतें यह संकेत कर रही हैं कि किसानों और विक्रेताओं के अनुभव इस दावे से मेल नहीं खा रहे हैं. अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि समीक्षा के बाद सरकार क्या ठोस कदम उठाती है और किसानों की वास्तविक परेशानियों को कैसे हल करती है.