रोजाना डेढ़ लीटर तक दूध देती है पांचाली नस्ल की भेड़

अन्य पशुओं की तुलना में भेड़ पालन में कम खर्च आता है और किसानों को इसके रहने और खिलाने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती. भेड़ पालन छोटे किसानों की आय बढ़ाने का अच्छा जरिया है.

Noida | Published: 17 Mar, 2025 | 07:02 PM
1 / 5रोजाना डेढ़ लीटर तक दूध देती है पांचाली नस्ल की भेड़

भारत में भेड़ों की कुल संख्या करीब 74.26 मिलियन है, जो कुल पालतू पशुओं का 12.71 प्रतिशत है. भेड़ों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है. देश में पाई जाने वाली भेड़ों में से अब तक 44 नस्लों का रजिस्‍ट्रेशन किया जा चुका है. इनमें से भेड़ की एक नस्ल 'पांचाली' है.

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पांचाली को दुम्मा, डूमा, बरैया, पांचाली-दुम्मा, डूमी देसी आदि नामों से भी जाना जाता है. यह ज्यादातर गुजरात के सुरेंद्र नगर, राजकोट, भावनगर और कच्छ इलाकों में पाई जाती है. इस भेड़ को मुख्य रूप से यहां के रेवाड़ी और भरवाड़ समुदाय पालते हैं.

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ये समुदाय साल के 8-10 महीने भेड़ों के साथ चारे की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते हैं. ये लोग मानसून के 2 से 4 महीनों के दौरान ही अपने मूल निवास स्थान पर वापस आते हैं. यात्रा के दौरान ये मुख्य रूप से खेड़ा, नडियाद, आनंद, अहमदाबाद और वडोदरा जिलों के आसपास रहते हैं.

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यह भेड़ सफेद और आकार में विशाल होती है. इसके चेहरे और सिर का रंग हल्का भूरा, काला-भूरा या काला होता है. इस नस्ल की नर और मादा भेड़ों के सींग नहीं होते हैं. चेहरा उठा हुआ होता है और कान लंबे और लटकते हुए पत्ते के आकार के होते हैं. इनके चेहरे, सिर और पेट पर कोई बाल नहीं होता है. इनका ऊन मोटा होता है. इसकी दुम भी मोटी होती है, इसलिए इसे डूमी भी कहा जाता है.

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इस नस्ल को मुख्य रूप से ऊन, मांस और दूध के लिए पाला जाता है. एक भेड़ प्रतिदिन आधा से डेढ़ किलो दूध देती है. औसतन एक भेड़ से एक किलो ऊन निकलता है. जन्म के समय इसके मेमने का वजन 3.5 से 4 किलोग्राम तक होता है और 3-4 महीने में यह बढ़कर 18 से 20 किलोग्राम हो जाता है. भेड़पालक ऐसे मेमनों को बेचकर अच्छी आमदनी हासिल कर सकते हैं.