इलायची की खेती के लिए ठंडी जलवायु बेहद जरूरी होती है क्योंकि इसका पौधा बहुत ज्यादा गर्मी झेल नहीं पाता है. भारत में इलायची की खेती केरल, कर्नाटक ओर तमिलनाडु में की जाती है. इसकी खेती के लिए 10 से 35 डिग्री का तापमान अच्छा माना जाता है.
इसकी खेती आपको ऐसी जमीन पर करनी चाहिए जहां पर काली दोमट मिट्टी हो क्योंकि उस मिट्टी को इसके लिए सबसे अच्छा माना गया है. दोमट और लैटेराइड मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है. साथ ही अच्छी जल निकास वाली काली मिट्टी भी इसके लिए सही मानी गई है.
खेती का सही समय मार्च से जून तक का माना गया है. इलायची के पौधे को हमेशा छाया में ही लगाना चाहिए. ज्यादा धूप इसकी फसल के लिए नुकसानदेह होती है. बारिश से पहले इलायची की खेती के लिए नर्सरी तैयार की जाती है. इसकी नर्सरी तैयार करने के लिए एक किलोग्राम बीज काफी होते हैं.
नर्सरी में जब इसके पौधे एक फीट तक बड़े हो जाए तब इसे खेत में लगाना चाहिए. इसके पौधे की खेत में रोपाई का सबसे उपयुक्त समय बरसात का होता है. करीब दो साल बाद इसका पौधा फल देना शुरू कर देता है. फल लगने के बाद 15 से 25 दिन के अंतराल में इसकी तुड़ाई होती है.
इलायची का हरा रंग बरकरार रहे और खूशबू भी आती रहे तो इसके लिए कटाई के बाद इसे दो प्रतिशत वाशिंग सोडा के घोल में 10 मिनट तक भिगोया जाता है. इसके बाद इसे ड्रायर या फिर धूप में सुखाया जाता है. 14 से 18 घंटे तक सुखने के लिए इसे छोड़ दें.
एक हेक्टेयर में इसकी खेती पर 135 से लेकर 150 किलोग्राम तक फसल हासिल की जा सकती है. अगर इसे 1100 से लेकर 2000 रुपए किलो के भाव से बाजार में बेचा जाए तो तीन लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है.