इसकी खेती या उत्पादन सबसे ज्यादा उत्तराखंड में होता है और इसे वहां पर काऊणी के नाम से जाना जाता है और वहां पर इससे कई पारंपरिक व्यंजन भी बनाए जाते हैं. चीन में इसका उत्पादन ईसापूर्व 600 वर्ष से हो रहा है.
बाजरा की यह किस्म दुनिया में सबसे पुरानी है और एशिया में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इस बाजरा को इटैलियन मिलेट के तौर पर भी जानते हैं. इस बाजरा का रंग पीला और स्वाद हल्का मीठा-कड़वा होता है. स्वाद की वजह से कई लोग इसे गेहूं और चावल में मिलाकर भी खाते हैं.
यह बाजरा देखने में बिल्कुल लोमड़ी की पूंछ सा लगता है और इसलिए इसे फॉक्सटेल के तौर पर भी जाना जाता है. किसान इसकी फसल को मक्की और कोदरे की सहफसल के तौर पर लगाते हैं. इस वजह से इसकी फसल चिड़िया का भोजन नहीं बन पाती है.
किसान इस फसल को साल में दो बार लगा सकते हैं. मई के अंत में अगर इस फसल को लगाया जाए तो अगस्त के अंत में इसकी कटाई की जा सकती है. इसकी फसल 80 दिनों में तैयार हो जाती है. इस वजह से एक साल में इसकी दो फसलें भी पूरी की जा सकती हैं.
फॉक्सटेल मिलेट में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं और इसमें विटामिन बी वन भरपूर मात्रा में होता है. इस वजह से यह हार्ट हेल्थ के साथ-साथ याददाश्त मजबूत करने में भी कारगर होता है. इसमें कई ऐसे तत्व होते हैं जो एंटी-एजिंग का काम करते हैं. इन तत्वों की वजह से ही शरीर पर उम्र का असर भी कम नजर आता है.
इस बाजरा में फाइबर भी जमकर होता है और इसलिए अगर इसका भात अगर खाया जाए तो शरीर से सारे जहरीले तत्व बाहर निकल जाते हैं. इसमें पाया जाने वाला प्रोटीन बालों को मजबूत बनाता है और त्वचा को चमकदार रखता है.