इस दौरे का मकसद भारत की खेती को और उन्नत बनाना और ब्राजील के अनुभवों से सीख लेकर भारतीय किसानों को लाभ पहुंचाना है. तो आइए जानते है दौरे की खास बातें.
सोयाबीन की खेती पर फोकस करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में इस क्षेत्र का काफी स्कोप है. उन्होंने ब्राजील से सहयोग बढ़ाने और मिलकर प्रोसेसिंग प्लांट्स लगाने की बात भी कही ताकि भारत न सिर्फ सोया तेल आयात करे बल्कि भविष्य में निर्यातक भी बन सके.
उन्होंने कहा कि भारत ब्राजील के साथ मिलकर सोयाबीन की प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाए, जिससे देश में सोया तेल का आयात घटे और भविष्य में हम खुद एक्स्पोर्टर्स बन सकें. ब्राजील की पूरी तरह मैकेनाइज्ड खेती देखकर केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि भारत में भी खेती को मशीनों से आसान और तेज बनाना जरूरी है.
उन्होंने सुझाव देते हुए कहा की भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और ब्राजील की रिसर्च एजेंसियां मिलकर अच्छे बीज तैयार करें ताकि किसानों के फसलों की पैदावार बढ़ सके.
उन्होंने हजारों हेक्टेयर में फैली टमाटर और कॉर्न की खेती देखी, जो पूरी तरह से आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों से की जा रही थी. इसमें स्प्रिंकलर सिस्टम, यूरिया मिक्सिंग मशीन और वर्षा जल संचयन पूरी तरह से कंट्रोल्ड सिस्टम के जरिए की जा रही है.
जिसे पौधे को उतने ही पानी और न्यूट्रिएंट्स मिलती है जितनी जितनी आवश्यकता होती है. साथ ही ब्राजील में कॉर्न की प्रति हेक्टेयर उपज 22 टन तक की है.
ब्राजील में जिस तरह सिंचाई होती है, उसमें कम पानी में स्प्रिंकलर और यूरिया मिलाकर पौधों को पोषण दिया जाता है. ये तरीका भारत के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है.
इसके साथ ही उन्होंने ब्राजील के कृषि विशेषज्ञों और व्यापारियों को भारत आने और संभावनाओं को तलाशने का न्योता दिया है. और कहा की 'वसुधैव कुटुंबकम' का जिक्र करते हुए कहा कि भारत और ब्राजील मिलकर दुनिया की खाद्य सुरक्षा में बड़ा योगदान दे सकते हैं.