खेती-किसानी पर भारत ने दोस्‍त इजरायल से की बातचीत, किसानों के लिए खुल सकते हैं 20 और सेंटर

भारत और इजरायल के बीच कृषि क्षेत्र में आधुनिकीकरण, उत्पादकता बढ़ाने, जल संरक्षण और खेती के दूसरे पहलुओं को लेकर आपसी सहयोग जारी है. दोनों देशों के बीच जो सीओई शुरू किए गए हैं, वो अब किसानों के लिए मददगार साबित हो रहे है.

Noida | Published: 28 Feb, 2025 | 08:23 PM

भारत और इजरायल पिछले करीब चार दशकों से मजबूत रणनीतिक साझेदार रहे हैं. इसी साझेदारी का नतीजा है रक्षा के अलावा अब कृषि के क्षेत्र में भी दोनों देश साथ आ रहे हैं. शुक्रवार को इजरायल के राजदूत रियुवेन अजार ने भारत के कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी से मुलाकात की है. इस मौके पर दोनों देशों के बीच कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के अवसरों पर चर्चा की है.

क्‍या हुआ मीटिंग में

बैठक में इजरायल के कृषि एवं खाद्य सुरक्षा मंत्री की आगामी यात्रा के अलावा उत्पादकता, सटीक सिंचाई, कटाई के बाद प्रबंधन और बाजार पहुंच के मुद्दों पर 20 राज्यों में सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस (सीओई) के प्रभाव पर विस्‍तार से चर्चा की गई. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि चतुर्वेदी ने कृषि उपयोग के लिए सीवेज के पानी को रिसाइकिल करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के साथ-साथ प्रमुख व्यापार और अनाज भंडारण मुद्दों पर विस्‍तार से चर्चा की. दोनों के बीच वार्ता के दौरान खेती में नए प्रयोगों के अलावा, टेक्‍नोलॉजी और हॉर्टीकल्‍चर में भारत-इजरायल सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई गई.

अब तक देश में 30 COEs

भारत और इजरायल के बीच कृषि क्षेत्र में आधुनिकीकरण, उत्पादकता बढ़ाने, जल संरक्षण और खेती के दूसरे पहलुओं को लेकर आपसी सहयोग जारी है. दोनों देशों के बीच जो सीओई शुरू किए गए हैं, वो अब किसानों के लिए मददगार साबित हो रहे है. साल 2024 तक, अलग-अलग राज्यों में 30 से अधिक सीओई चालू हो चुके हैं. ये सेंटर आम, खट्टे फल, अनार, सब्जियां और फूलों की खेती सहित कई और फसलों में विशेषज्ञता रखते हैं. इन सीओईज की तरफ से स्थानीय किसानों को प्रशिक्षण, पौधे और एडवांस्‍ड टेक्‍नोलॉजी के बारे में बताया जाता है जिससे उत्पादकता को बढ़ाने में मदद मिलती है.

भारत की कैसे मदद करता है इजरायल

फसल आनुवंशिकी (crop genetics),कीट नियंत्रण और पानी जल-कुशल खेती (water-efficient farmin)में ज्‍वॉइन्‍ट रिसर्च प्रोजेक्‍ट्स जारी हैं. इसके लिए दोनों देशों की यूनिवर्सिटीज और कृषि संस्थान जलवायु-लचीले एग्री सॉल्‍यूशंस पर सहयोग करते हैं. इजरायल जिस तरह से कोल्‍ड स्‍टोरेज, पैकेजिंग और फूड प्रोसेसिंग में आगे बढ़ रहा है, उससे भारतीय किसानों को फसल के बाद होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिल रही है.