पंजाब में फूलगोभी और पत्तागोभी की खेती करने वाले किसान इन दिनों भारी नुकसान झेलने को मजबूर हैं. इन सब्जियों की अधिकता की वजह से इनकी थोक कीमतें गिरकर एक से दो रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है. साथ ही अब खुदरा कीमतें भी गिरकर सात से 10 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई है. एक मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस वजह से अब राज्य के किसान बड़ा नुकसान झेलने को मजबूर हैं और अधिकारी भी इसका कोई हल नहीं निकाल पा रहे हैं.
खर्चे के लिए भी संघर्ष कर रहे किसान
अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के किसानों को अपने खर्चों की भरपाई करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. उत्पादन लागत 40,000 रुपये प्रति एकड़ तक बढ़ गई है. इसकी वजह से अब इस अतिरिक्त उत्पादन का क्या किया जाए या इसकी सही उपयोग कैसे हो, इसे लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. लुधियाना के साहनेवाल के किसान लखविंदर सिंह ग्रेवाल के हवाले से अखबार ने बताया है कि अक्टूबर में धान की कटाई के बाद 1.5 एकड़ में गोभी की खेती की थी. उनकी फसल दिसंबर के अंत तक पक गई, लेकिन अब उन्हें थोक बाजारों में बहुत कम कीमतों पर इसे बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. स्थिति से वह काफी दुखी हैं और उन्होंने कहा कि इन कीमतों पर तो वह लागत भी नहीं निकाल पा रहा हैं.
किसानों ने मौसम को ठहराया जिम्मेदार
कुछ ऐसा ही हाल बाकी किसानों का भी है. कुछ किसानों ने तो खराब कीमतों से परेशान होकर अपनी फसल मवेशियों तक को खिला दी हैं. किसानों ने सवाल किया है कि जब उन्हें सिर्फ एक रुपये प्रति किलो ही मिलेगा तो इसे मंडी में ले जाने का क्या मतलब है. किसान इस संकट के लिए अप्रत्याशित मौसम पैटर्न को जिम्मेदार ठहराते हैं. एक किसान ने बताया कि नवंबर में बहुत ज्यादा तापमान की वजह से शुरुआती पैदावार कम हुई. जबकि दिसंबर में अचानक तापमान में गिरावट हो गई है. इस वजह ये शुरुआती और देर से पकने वाली किस्में एक ही समय में पक गईं, जिससे बाजार में बाढ़ आ गई. उनका कहना था कि अक्सर यह कई सब्जियों के साथ होता है. ऐसे में राज्य सरकार को जागने और ऐसी स्थितियों से निपटने के तरीके खोजने की जरूरत है.
सरकारों को होमवर्क की जरूरत
कुछ किसानों ने बागवानी विभाग, कृषि विभाग और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) समेत राज्य कृषि निकायों की तरफ से एक बेहतर योजना बनाने की जरूरत पर जोर दिया. उनका कहना है कि इस बात का आकलन करने की सख्त जरूरत है कि हर सब्जी की फसल के लिए कितनी जमीन आवंटित की जानी चाहिए. साथ ही सप्लाई को विनियमित करने के लिए किसानों को समूहों में संगठित करना चाहिए. इससे इस हैरान करने वाली कीमतों में गिरावट को रोका जा सकेगा. साथ ही उन्होंने राज्य सरकार की जिम्मेदारी लेने के बजाय केंद्र पर दोष मढ़ने की आदत की भी आलोचना की है. किसानों का कहना है कि कृषि एक राज्य विषय है, इसलिए उन्हें अपने वेतन को उचित ठहराने के लिए कुछ होमवर्क करने की जरूरत है.
किसानों ने उठाए गंभीर सवाल
उन्होंने अरब देशों को सब्जियां निर्यात करने की पंजाब की क्षमता की ओर भी इशारा किया, जो वर्तमान में यूरोप से उपज आयात करते हैं. किसानों की मानें तो पंजाब उस बाजार का फायदा क्यों नहीं उठा सकता? इसके बजाय, राज्य केंद्र को दोषी ठहराता है और केंद्र राज्य को दोषी ठहराता है. कृषि डेटा के अनुसार, इस साल पंजाब में लगभग 20,000 हेक्टेयर में फूलगोभी और पत्तागोभी की खेती की जा रही है. नवंबर में बाजार में आने वाली अगस्त की शुरुआत में बोई गई किस्मों की कीमत 30-40 रुपये प्रति किलोग्राम थी, लेकिन आपूर्ति सीमित थी.