जल संकट पर किसानों का हल्लाबोल, KRS सागर और काबिनी डैम से पानी छोड़ने की मांग

कर्नाटक के किसानों ने जल संकट और गर्मी के कारण फसलों की सुरक्षा के लिए मैसूरु में प्रदर्शन किया और जलाशयों से पानी छोड़ने की मांग की. किसानों ने सिंचाई विभाग को एक ज्ञापन सौंपा और अपनी मांगों को दोहराया.

Noida | Published: 12 Mar, 2025 | 05:21 PM

बढ़ते तापमान और जल संकट के बीच कर्नाटक के किसानों ने मंगलवार को मैसूरु स्थित कमांड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (CADA) कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. उनकी मांग थी कि केआरएस (कृष्णराज सागर) और काबिनी जलाशयों से तुरंत पानी छोड़ा जाए, ताकि तालाबों और अन्य जलाशयों को भरा जा सके और सूखती फसलों को बचाया जा सके.

यह प्रदर्शन राज्य किसान संघों के महासंघ और राज्य गन्ना उत्पादक संघ (Federation of State Farmers’ Associations and State Sugarcane Growers’ Association), के नेतृत्व में किया गया. किसानों का कहना था कि भीषण गर्मी और पानी की कमी के कारण उनकी खड़ी फसलें सूखने लगी हैं. गन्ना, केला, सुपारी, नारियल, धान, रागी और ज्वार जैसी महत्वपूर्ण फसलें इस जल संकट की मार झेल रही हैं.

गर्मी में पानी की किल्लत से बेहाल किसान

किसानों का कहना है कि लगातार तालाब और अन्य जल स्रोत सूखते जा रहे हैं, जिससे केवल फसलों की सिंचाई ही नहीं, बल्कि लोगों और मवेशियों के लिए भी पेयजल का संकट भी अधिक बढ़ गया है. तो वहीं  प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे राज्य गन्ना उत्पादक संघ के संगठन सचिव अत्तीहल्ली देवराज ने बताया कि गर्मी की शुरुआत के साथ ही झीलें और अन्य जलाशय भी सूखने लगे हैं, जिससे न केवल लोगों और उनके पशुओं के लिए पेयजल संकट पैदा हो रहा है, बल्कि भूजल स्तर भी गिर रहा है.  जिससे किसानों को सिंचाई के लिए इरीगेशन पंपसेट्स (आईपी सेट्स) का उपयोग करने में दिक्कत हो रही है. इस वजह से कई किसानों की फसलें मुरझाने लगी हैं, जिससे उनका भारी नुकसान हो सकता है.

करदाताओं के पैसे से बने जलाशयों में जनता का हक

किसानों का कहना हैं की बांध और जलाशय जनता के टैक्स के पैसों से बनाए गए हैं. इन जलाशयों के निर्माण के दौरान कई गांवों को डुबोया गया और हजारों लोग विस्थापित हुए. इसलिए, इस पानी का उपयोग जनता के हित में किया जाना चाहिए, न कि उसे बेवजह रोका जाना चाहिए.  इसके साथ वह कहते हैं कि पानी को रोककर रखने से कोई फायदा नहीं है, बल्कि इससे फसलें और पशुधन दोनों खतरे में आ जाते हैं. किसानों का मानना है कि सरकार को तुरंत जलाशयों से पानी छोड़ने का आदेश देना चाहिए.

आधुनिकीकरण के नाम पर देरी क्यों?

किसानों ने आरोप लगाया कि बन्नूर डोड्डाकेरे नहरों के आधुनिकीकरण का काम कई वर्षों से अटका हुआ है. हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर इस परियोजना को लटकाया जा रहा है. अगर यह परियोजना पूरी हो जाती, तो किसानों को पानी की किल्लत नहीं झेलनी पड़ती. किसानों ने सरकार से मांग की कि इस काम को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।*

प्रदर्शन के दौरान हल्की झड़प

The hindu की रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने CADA कार्यालय के मुख्य द्वार पर बैरिकेड्स लगाकर किसानों को रोकने की कोशिश की. इससे गुस्साए किसानों और पुलिस के बीच हल्की झड़प भी हुई. किसानों ने नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को दोहराया. बाद में पुलिस ने सिंचाई विभाग के डिप्टी इंजीनियर गौतम* को बुलाया, जिन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों से मुलाकात की और उनकी मांगों को लेकर एक ज्ञापन (मेमोरेंडम) स्वीकार किया.

किसानों की मुख्य मांगें

  • केआरएस जलाशय से विश्‍वेश्‍वरैया नहर (VC), वरुणा शाखा नहर और चिक्‍कदेवराय एक्सटेंशन नहर में पानी छोड़ा जाए.
  • काबिनी जलाशय से राइट बैंक नहर में पानी छोड़ा जाए ताकि तालाबों और जलाशयों में पानी भर सके.
  • बन्नूर डोड्डाकेरे नहरों के आधुनिकीकरण का काम तुरंत पूरा किया जाए.