गौमूत्र के फायदे को लेकर आयुर्वेद में काफी कुछ लिखा है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने भी आर्गेनिक खेती में गौमूत्र के उपयोग को मान्यता दे रखी है. ICAR के नेटवर्क प्रोजेक्ट ऑन ऑर्गेनिक फार्मिंग के तहत हुए अध्ययन में पाया था कि गौमूत्र मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के साथ-साथ कीट और रोग प्रबंधन में सहायक होता है.
ICAR के सहायक महानिदेशक डॉ. एस. भास्कर के हवाले से छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक आर्गेनिक खेती के दौरान पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए गौमूत्र का छिड़काव लाभकारी सिद्ध हुआ है, हालांकि इस पर और शोध की आवश्यकता है.
उन्होंने बताया कि छिड़काव के लिए 10% गौमूत्र और 90% पानी का मिश्रण उपयोगी होता है. इस संबंध में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) आगे की रिसर्च कर रहा है.
ICAR अधिकारियों के अनुसार, किण्वित गौमूत्र (Fermented Cow Urine) मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और इसे प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. रासायनिक उर्वरकों की तुलना में गौमूत्र से बना तरल खाद पौधों के लिए अधिक लाभकारी माना गया है.
सरकार का जैविक खेती को बढ़ावा
सरकार देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) और मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्टर्न रीजन जैसी योजनाओं के तहत क्लस्टर अप्रोच को अपना रही है.
IIT दिल्ली को ‘पंचगव्य’ (गौमूत्र, गोबर, दूध, दही और घी का मिश्रण) पर वैज्ञानिक अध्ययन के लिए विभिन्न शैक्षणिक और शोध संस्थानों से 50 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं.
नीति आयोग में हुई थी बैठक
गौमूत्र के उपयोग पर ICAR को अध्ययन करने का निर्देश अक्टूबर 2018 में नीति आयोग में हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद दिया गया था. बैठक में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को भी जैविक खेती में गौमूत्र, गोबर और जैविक कचरे के उपयोग के अध्ययन के लिए आमंत्रित किया गया था.
सिक्किम: भारत का पहला जैविक राज्य
सिक्किम भारत का पहला पूर्णतः जैविक राज्य है, जहां खेती में रासायनिक उर्वरकों की बजाय गौमूत्र और गोबर का उपयोग किया जाता है. यहां जैविक तरीकों से कीट प्रबंधन भी किया जाता है.