रबी सीजन की फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है. खरीफ सीजन की फसलों की खेती से पहले किसान अपनी खाली पड़ी जमीन पर जायद सीजन में उगाई जाने वाली फसलों की बुवाई कर सकते हैं. इस दौरान कई दलहनी और तिलहनी फसलों की भी बुवाई कर सकते हैं, जो धान की खेती से पहले ही तैयार हो जाती है. जायद सीजन में मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाने के लिए कई किसान ढेंचा और मूंग की खेती भी करते हैं. जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है. तो चलिए इस खबर में आगे बात कर लेतें हैं कि अप्रैल के महीने में किन फसलों की खेती से किसान बंपर कमाई कर सकते हैं.
मुनाफे वाली है गर्मी में मक्का किस्मों की खेती
अप्रैल का महीना साठी मक्का और बेबी कॉर्न की खेती के लिए अनुकूल माना जाता है. बता दें कि दोनों ही फसलें 60 से 70 दिनों में पक कर तैयार हो जाती हैं. बाजार में बेबी कॉर्न की मांग ज्यादा है. होटलों में बेबी कॉर्न का सलाद, सब्जी, अचार, पकौड़े और सूप आदि काफी लोकप्रिय है.
दलहनी फसलों से बढ़ेगी किसानों की कमाई
उड़द की खेती के लिए अप्रैल के महीने को अनुकूल माना जाता है. किसान चाहें तो अच्छी कमाई के लिए जायद सीजन में उड़द की खेती कर सकते हैं. उड़द की खेती के लिए प्रति एकड़ 6-8 किलो बीज का इस्तेमाल करें और इसे खेत में बोने से पहले थीरम या ट्राइकोडर्मा से उपचारित कर लें. किसान अरहर की बुवाई भी कर सकते हैं. अरहर की फसल 60 से 90 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
इन सब्जियों की अभी भी कर सकते हैं बुवाई
अप्रैल के महीने में सब्जियों की खेती भी की जा सकती है. यह समय लौकी, भिंडी, करेला, तोरई, बैंगन की खेती के लिए अनुकूल है. मौसम की मार से जायद सीजन की फसलों को बचाने के लिए किसान पॉलीहाउस, ग्रीनहाउस या लो टनल का इंतजाम करके भी खेती कर सकते हैं. जायद सीजन में किसान ढेंचा यानी हरी खाद की फसल की खेती भी कर सकते हैं. इससे खाद और उर्वरकों पर खर्च होने वाला पैसा बचाया जा सकता है. ढेंचा की फसल 45 दिनों के अंदर तैयार हो जाती हैं. ढेंचा की फसल की कटाई के बाद धान की खेती करने पर उपज की क्वालिटी और पैदावार अच्छी मिलती है.