लैवेंडर की खेती ने बनाया करोड़पति, कश्मीर की रूबीना अपना रहीं खास तकनीक

रूबीना जम्मू कश्मीर के बड़गाम जिले के यारी कलान गांव की है. साल 2006 में रूबीना ने तीन एकड़ जमीन पर लैवेंडर की खेती शुरू की. आज उनका काम 80 एकड़ तक फैल गया है.

लखनऊ | Updated On: 23 Apr, 2025 | 04:00 PM

विश्व पटल पर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर कश्मीर की खूबसूरती तब और निखर उठती है, जब इसकी वादियों में बैंगनी रंग के लैवेंडर के फूलों से बगीचे सजे होते हैं. इन फूलों ने न केवल कश्मीर की शोभा बढ़ाई है, बल्कि यहां के किसानों को मालामाल भी किया है. जम्मू-कश्मीर के बड़गाम जिले के यारी कलान गांव की रूबीना तबस्सुम ऐसी ही एक सफल महिला किसान हैं, जिन्होंने लैवेंडर की खेती को एक क्रांति में बदल दिया. खेती में आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल कर रही हैं. इन्होंने यह मुकाम कैसे हासिल किया? चलिए इसके बारे में जान लेते हैं.

शिक्षा से खेती तक का सफर

रूबीना जम्मू कश्मीर के बड़गाम जिले के यारी कलान गांव की है. बात करें इनकी पढ़ाई- लिखाई की तो इन्होंने इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी से मार्केटिंग में एमबीए और CSIR-IIIM श्रीनगर से प्रशिक्षण प्राप्त किया. पढ़ाई पूरा करने के बाद इनका रुझान कृषि की तरफ बढ़ा. साल 2006 में रूबीना ने तीन एकड़ जमीन पर लैवेंडर की खेती शुरू की.  रूबीना ने खेती में आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया. इनकी इसी मेहनत का नतीजा है कि आज उनका ये कारोबार 80 एकड़ तक फैल गया है, जहां लैवेंडर की खुशबू बिखर रही है.

लैवेंडर की खेती के लिए सही मौसम

रूबीना ने ‘किसान इंडिया’ से बातचीत में बताया कि लैवेंडर की खेती के लिए उपजाऊ जमीन की जरूरत नहीं होती. बंजर जमीन पर भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है. बात करें लैवेंडर कि तो यह एक कठोर पौधा है, जो ठंडी जलवायु, सूखा और पाला सहन कर सकता है. देखा जाए तो ठंडी सर्दियां और हल्की गर्मियां इसके खेती के लिए सबसे अधिक उपयोगी मौसम हैं. क्योंकि इसके पौधे को अच्छी धूप की आवश्यकता होती है. वहीं इसे बर्फबारी वाले पहाड़ी क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है. इसके बीज अंकुरण के लिए 12 से 15 डिग्री तापमान और पौधे के विकास के लिए 20 से 22 डिग्री तापमान उपयुक्त है. यह पौधा 10 डिग्री से कम तापमान को भी सहन कर लेता है.

Rubina-Tabassum-Kisan-India

Rubina Tabassum

2 करोड़ रुपये की सालाना कमाई

लागत की बात करें तो एक एकड़ में करीब 20,000 रुपये का खर्च आता है, जबकि एक एकड़ से 30 लीटर लैवेंडर तेल प्राप्त होता है. बाजार में इस तेल का मूल्य 10,000 रुपये प्रति लीटर है. इस हिसाब से जोड़ा जाए तो 80 एकड़ में लैवेंडर की खेती पर 1,600,000 लाख रुपये तक का खर्चा आता है. वहीं फायदे की बात करें तो 30 लीटर एकड़ के हिसाब से 80 एकड़ में 24,000,000 (दो करोड,चालीस लाख) रुपये आएगा. यानी फायदा दो करोड़ चौबीस लाख (2,24,00,000) रुपये तक की कमाई हो रही है. इसकी सबसे खास बात यह है कि एक बार लैवेंडर का पौधा लगाने के बाद 15 साल तक इसकी फसल ली जा सकती है.

ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं रूबीना

रूबीना न केवल एक सफल किसान हैं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा भी हैं. वे कश्मीर के दूरदराज के इलाकों में लोगों को लैवेंडर की खेती के गुर सिखाती हैं. उनकी मेहनत और कमाई का नतीजा है कि उनके दो बेटे इंजीनियर बन चुके हैं और बेटी ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है. (लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

Published: 23 Apr, 2025 | 03:07 PM