उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने गांवों की बहनों के लिए बड़ा तोहफा दिया है. 10 हजार पर्यावरण सखियां प्रशिक्षित होंगी, जो सौर ऊर्जा से गांवों को रौशन करेंगी और अपनी कमाई का रास्ता बनाएंगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में ये योजना गांवों को हरा-भरा और बहनों को आत्मनिर्भर बनाएगी. ये खबर गांवों की नई सुबह की शुरुआत है. चलिए जानते इस योजना को समझते हैं.
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन
उत्तर प्रदेश सरकार की ‘राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन’ के तहत प्रेरणा ओजस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है. लखनऊ में स्थापित सौर उत्पाद निर्माण इकाई और 20 जिलों में 414 सौर दुकानों के माध्यम से 414 महिलाएं रोजगार प्राप्त कर रही हैं. इसके अलावा, 80 सौर मशीनें और 60 ‘सूर्य सखियां’ तैयार की गई हैं, जो गांवों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दे रही हैं. यह पहल न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में हरित ऊर्जा के प्रसार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
सौर ऊर्जा से सशक्तिकरण
इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को सौर ऊर्जा से संबंधित उत्पादों जैसे सोलर चूल्हे, बायो-गैस सिस्टम, सौर लालटेन, चार्जर और अन्य उपकरणों के उपयोग, रखरखाव और मरम्मत का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इससे न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाएगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा.
महिला उद्यमिता को बढ़ावा
मिशन निदेशक दीपा रंजन के अनुसार, अगले तीन वर्षों में प्रदेश को सौर ऊर्जा और महिला सशक्तिकरण का केंद्र बनाने का विस्तृत खाका तैयार किया गया है. इस रणनीति के तहत हर मंडल में सौर उत्पाद निर्माण इकाइयों की स्थापना की जाएगी, जिससे 540 महिलाओं को सीधे रोजगार मिलेगा. इसके अलावा, 826 विकास खंडों में 3,304 सौर दुकानों की स्थापना की जाएगी, जिससे 3,304 महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होंगी.
57,702 ‘सूर्य सखियों’ की तैनाती
प्रदेश में 20,000 विकेंद्रीकृत सौर उत्पादों की स्थापना की जाएगी, जिससे 20,000 महिलाओं को उद्यमिता का मौका मिलेगा. इसके अलावा 57,702 ग्राम पंचायतों में 57,702 ‘सूर्य सखियों’ की तैनाती की जाएगी, जो सौर ऊर्जा उत्पादों के उपयोग, रखरखाव और जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी लेंगी.
10,000 पर्यावरण सखियों को प्रशिक्षण
प्रदेश में अगले तीन साल में 10,000 पर्यावरण सखियों का प्रशिक्षण देकर दिया जाएगा. ये सखियां स्वच्छ ऊर्जा से खाना पकाने के समाधानों जैसे, सौर चूल्हे और बायो-गैस सिस्टम को बढ़ावा देंगी, जो धुएं से मुक्त रसोई और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करेंगी. इससे घरेलू प्रदूषण कम होगा, महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर होगा, और ग्रामीण जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आएगा.