मिट्टी की सेहत का डॉक्टर है वर्मी कम्पोस्ट, जानिए कैसे करें शुरुआत

इस प्रक्रिया के लिए किसी मशीन या भारी खर्च की जरूरत नहीं होती. बस थोड़ी-सी जगह, हरे-सूखे कचरे, और खास किस्म के केंचुए चाहिए होते हैं.

नई दिल्ली | Published: 16 Apr, 2025 | 12:05 PM

आज की खेती में सबसे बड़ी चुनौती बन गई है मिट्टी की सेहत. लगातार केमिकल युक्त फर्टिलाइजर के इस्तेमाल से खेत की मिट्टी कमजोर हो रही है और इसका सीधा असर फसल पर पड़ता है. ऐसे में किसान अब प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान अपना रहे हैं. खेतों में अब वर्मी कम्पोस्ट को डाला रहा है, जिसे हम आम भाषा में केंचुआ खाद भी कहते हैं.

हालांकि, यह कोई नई तकनीक नहीं है, बल्कि सदियों से किसा इसका इस्तेमाल करते रहे हैं, इसमें केंचुए ऑर्गेनिक खाद बनाने का काम करते हैं. जब आप खेत या बागीचे के कचरे, पत्तियों और सब्जियों के छिलकों को एक जगह इकट्ठा कर केंचुओं के हवाले कर देते हैं, तो कुछ ही महीनों में वे खाद में बदल देते हैं. यह खाद इतनी मुलायम, खुशबूदार और पौष्टिक होती है कि पौधों की जड़ें इसे झट से अपना लेती हैं.

कैसे बनता है वर्मी कम्पोस्ट?

इस प्रक्रिया के लिए किसी मशीन या भारी खर्च की जरूरत नहीं होती. बस थोड़ी-सी जगह, हरे-सूखे कचरे, और खास किस्म के केंचुए चाहिए होते हैं. एक गड्ढा या टंकी में सूखी घास, गोबर और जैविक अवशेषों की परत लगाकर केंचुए छोड़ दिए जाते हैं. कुछ नमी और छांव के साथ ये केंचुए लगातार काम करते रहते हैं. दो से तीन महीनों में तैयार होती है ऐसी खाद, जो किसी भी रासायनिक उर्वरक से कहीं ज्यादा असरदार होती है.

केंचुए भी होते हैं खास

हर केंचुआ वर्मी कम्पोस्टिंग के लिए उपयुक्त नहीं होता. जैसे अफ्रीकी केंचुआ गर्म मौसम में अच्छा काम करता है, तो वहीं रेड विगलर ठंडे इलाकों के लिए भी अच्छा माना जाता है. वहीं भारत में खाद बनाने के लिए इन तीन प्रकार के केंचुओं का इस्तेमाल होता है-Eudrilus eugeniae, Eisenia foetida और Perionyx excavatus.

किसानों के लिए क्यों है वरदान?

वर्मी कम्पोस्ट सिर्फ मिट्टी की उर्वरता नहीं बढ़ाता, बल्कि यह फसलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित करता है. इसके साथ ही यह पानी की क्षमता को भी बढ़ाता है और लंबे समय तक मिट्टी में टिकता है. खास बात यह है कि वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर किसान न सिर्फ अपनी खेती में उपयोग कर सकते हैं, बल्कि इसे बेचकर आय का एक नया स्रोत भी बना सकते हैं.