यूपी बनेगा किंग ऑफ वेजिटेबल्स..कई शहरों में आलू विकास केंद्र खोलने की घोषणा

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ सब्जी वैज्ञानिक डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि इन आलू विकास केंद्रों के जरिये किसान अधिक तापमान सहने वाली और अधिक उपज वाली प्रजातियों के बारे में जागरूक होंगे. उत्पादन और उनकी कमाई बढ़ेगी.

नोएडा | Updated On: 9 Apr, 2025 | 03:16 PM

आलू दुनिया के लगभग हर देश में होने वाली और सबसे अधिक खाई जाने वाली सब्जी है. यह बहुपयोगी है. इसे उबालकर, तलकर, भूनकर, या मैश करके खाया जाता है. बिना आलू के न सब्जी, न किसी किचन की कल्पना की जा सकती है. स्नैक्स, चिप्स, पापड़, नमकीन के रूप में भी इसका उपयोग होता है. वोदका और इथेनॉल के रूप में इसकी संभावना और बढ़ जाती है. बाकी सब्जियों की तुलना में अपेक्षाकृत सस्ता होना और साल भर उपलब्धता इसे और खास बना देती है. इन्हीं खूबियों के नाते आलू को किंग ऑफ वेजिटेबल्स (सब्जियों का राजा) भी कहते हैं. योगी सरकार ने इस राजा का जलवा बढ़ाने की मुकम्मल तैयारी की है. आगरा में अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र और सहारनपुर एवं कुशीनगर में खुलने वाले एक्सीलेंस सेंटर इसका जरिया बनेंगे.

देश का एक तिहाई आलू पैदा करता है यूपी

आलू के उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश देश में नंबर वन है. देश की कुल उपज का एक तिहाई से अधिक करीब (35 फीसद) यूपी में पैदा होता है. उपज भी देश की प्रति हेक्टेयर औसत से अधिक करीब 23 से 25 टन है. उपज और बढ़ने की पूरी संभावना है. इसमें दिक्कत बस आलू के क्षेत्र में प्रदेश के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार शोध और नवाचार की कमी और जो शोध हो रहे हैं. उनको किसानों तक पहुंचाने की रही है.

दिक्कतें जिनका योगी सरकार कर रही हल

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र शिमला (हिमाचल) में है. इसके सिर्फ दो रीजनल केंद्र मेरठ एवं पटना में हैं. लिहाजा इनके जरिये इस क्षेत्र में होने वाले शोध और नवाचार को लैब से लैंड तक पहुंचने में दिक्कत होती है और समय भी लगता है. बुवाई के सीजन में उन्नतिशील प्रजातियों के बीज की किल्लत आम बात है. लिहाजा किसान जो आलू कोल्ड स्टोरेज में रखता है उसे ही हर साल बोना मजबूरी है. योगी सरकार किसानों की इस समस्या का प्रभावी और स्थाई हल निकलने जा रही है. आगरा जिसके आसपास के मंडलों और उनमें शामिल जिलों में आलू की सर्वाधिक खेती होती है, वहां अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान संस्थान पेरू (लीमा) की शाखा खोलने की प्रकिया जारी है. इसमें होने वाले शोध एवं नवाचार से यहां के लाखों आलू उत्पादक किसान लाभान्वित होंगे.

यूपी में यहां होती है सबसे ज्यादा आलू

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के करीब आधा दर्जन मंडलों में शामिल जिलों में प्रदेश के 75 फीसद आलू का उत्पादन होता है. ये मंडल हैं मेरठ, अलीगढ़, आगरा, कानपुर, मुरादाबाद और, बरेली. मंडल मुख्यालयों को शामिल कर इनमें फिरोजाबाद, हाथरस, कन्नौज, फर्रुखाबाद, इटावा, मथुरा, मैनपुरी और बदायूं जैसे जिले आलू उत्पादन में खासी भागीदारी रखते हैं. आगरा उत्पादक जिलों के केंद्र में पड़ता है. ऐसे में यहां अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र खुलने से उत्पादक किसानों को बहुत लाभ होगा. यही लाभ प्रदेश के बाकी आलू उत्पादक किसानों को भी मिले, इसके लिए योगी सरकार सहारनपुर और कुशीनगर में भी एक्सीलेंस सेंटर फॉर पोटैटो खोल रही है. इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश के आलू उत्पादक किसानों को लाभ होगा.

किसानों को मिलेंगे ये लाभ

गोरखपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ सब्जी वैज्ञानिक डॉ. एसपी सिंह के अनुसार इन केंद्रों के जरिये किसान कम समय में अधिक तापमान सहने वाली और अधिक उपज वाली प्रजातियों के बारे में जागरूक होंगे. स्थानीय स्तर पर बुवाई के सीजन में बीज की उपलब्धता होने पर वह बाजार की मांग के अनुसार प्रजातियों को लगाएंगे. इससे उनकी आय भी बढ़ेगी. उनको यह पता चलेगा कि मुख्य और अगैती फसल के लिए कौन सी प्रजातियां सबसे बेहतर हैं. मसलन कुफरी नीलकंठ में शुगर की मात्रा कम होती है, पर बीज की उपलब्धता बड़ी समस्या है. ऐसे ही अधिक तापमान के प्रति सहनशील कुफरी शौर्या, मात्र 60 से 65 दिन में होने वाली प्रजाति कुफरी ख्याति और प्रसंस्करण के लिए उपयोगी कुफरी चिपसोना प्रजातियों के साथ भी उपलब्धता का संकट है. शोध संस्थान इस दिक्कत को दूर करने में मददगार होंगे.

उपज बढ़ने की भरपूर संभावना

हालांकि किसी फसल के उत्पादन में वहां की कृषि जलवायु, मिट्टी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, पर बेहतर प्रजातियों की उपलब्धता और आधुनिक तकनीक को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते. इन्हीं के जरिये यूरोप के कई देश मसलन नीदरलैंड, बेल्जियम, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड आदि प्रति हेक्टेयर 38 से लेकर 44 मीट्रिक टन आलू पैदा कर रहे हैं. नए शोध केंद्रों की नई प्रजातियों और नई तकनीक के जरिये अब भी उपज के बढ़ाने की भरपूर संभावना है. सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश होने के नाते अपनी जरूरत के अनुसार निर्यात की संभावनाओं के लिए भी यह जरूरी है। सरकार यह काम कर रही है.

आलू में मिलने वाले पोषक तत्व

पोषण के लिहाज से भी आलू महत्वपूर्ण है. इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन सी, बी 6, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फाइबर मिलते हैं. ये सभी शरीर के लिए आवश्यक हैं. मसलन कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत होता है. विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत होने के कारण यह रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ाता है. पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है. मैग्नीशियम, हड्डियों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. फाइबर इसे सुपाच्य बनाता है. इसी तरह आलू में फास्फोरस, आयरन, जिंक, मैंगनीज, कैल्शियम और अन्य खनिज भी पाए जाते हैं. ये सभी शरीर के लिए उपयोगी हैं.

Published: 9 Apr, 2025 | 03:08 PM