रबी सीजन की फसलों की कटाई चल रही है और अब जायद फसलों भी तैयार हैं. इसके साथ ही अब जिन इलाकों में खेत खाली हैं वहां के किसान खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई की तैयारियों में जुट गए हैं. किसानों को बीज, खाद और उर्वरकों की उपलब्धता पक्की करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्रालय ने भी तैयारियां तेज कर दी हैं. राज्य के कृषि मंत्री ने अधिकारियों को कृषि मशीनों समेत अन्य व्यवस्थाएं कराने के निर्देश दिए हैं.
किसानों तक समय पर खाद-बीज, यंत्र पहुंचाएं
उत्तर प्रदेश सरकार ने खरीफ सीजन 2025 के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसी सिलसिले में बुधवार को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ लखनऊ स्थित कृषि निदेशालय में बैठक की. कृषि मंत्री ने कहा कि खरीफ सीजन में किसानों को समय पर बीज, खाद और कृषि यंत्र उपलब्ध कराना प्राथमिकता होनी चाहिए. इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे जिलों का दौरा करें और खुद खेतों में जाकर किसानों की समस्याएं समझें. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दलहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को क्रॉप शिफ्टिंग (फसल बदलाव) के लिए प्रेरित किया जाए.
ढैंचा और जिप्सम की समय पर आपूर्ति के निर्देश
कृषि मंत्री ने ढैंचा और जिप्सम को समय पर सुनिश्चित करने की बात कही. ढैंचा एक प्रकार की हरी खाद है, जो खेत की उर्वरता बढ़ाने में मदद करती है. इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों को खरीफ के साथ-साथ रबी सीजन की तैयारियों पर भी फोकस करने के लिए कहा. कृषि मंत्री ने साफ तौर पर यह कहा कि ‘अधिकारियों को अभी से ही दो साल और पांच साल की रणनीति बनाकर काम शुरू करना होगा.’
एग्री टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इवेंट होंगे
कृषि विभाग की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों पर भी चर्चा की गई जिसमें कृषि मंत्री ने कहा कि इन आयोजनों में क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर, महिला किसानों के लिए विशेष प्रोत्साहन, और एग्री टूरिज्म को बढ़ावा देने वाले इवेंट्स को खास तौर से शामिल किया जाएं, इससे ना सिर्फ खेती को आधुनिक रूप मिलेगा बल्कि किसान आर्थिक रूप से भी मजबूत होंगे.
किसानों को लाइन सोइंग के लिए प्रेरित करेंगे अधिकारी
प्रमुख सचिव रवीन्द्र ने कहा कि किसानों को लाइन सोइंग (पंक्ति में बीज बोने) के लिए प्रेरित करना चाहिए, जिससे फसलों की देखरेख और उत्पादन दोनों बेहतर तरीके से हो सकें. साथ ही उन्होंने मृदा स्वास्थ्य परीक्षण को समय-समय पर कराने पर जोर दिया, ताकि किसान यह जान सकें कि उनकी जमीन के लिए कौन सी फसल और कितनी सिंचाई या खाद सही होगी.