चाय पत्ती भारत की संस्कृति और समाज का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है. चाहे सुबह की शुरुआत हो या शाम की महफिल, चाय पत्ती के बिना सब अधूरा लगता है. भारत में चाय पत्ती की शुरुआत अंग्रेजों के जमाने में हुई थी, जब 1800 के शुरुआती सालों में असम के ब्रह्मपुत्र घाटी में चाय पत्ती के बागान लगाए गए. चीन से लाई गई चाय पत्ती की पौध को भारत की मिट्टी में लगाया गया और आज भारत दुनिया के सबसे बड़े चाय पत्ती उत्पादक देशों में से एक बन चुका है.
चाय पत्ती की खेती का रोचक है इतिहास
चाय पत्ती भारत की मूल फसल नहीं थी, लेकिन समय के साथ यह यहां की संस्कृति में रच-बस गई. 1776 में सर जोसेफ बैंक्स की सिफारिश पर अंग्रेजों ने चाय पत्ती के पौधे भारत लाए और असम में इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन की शुरुआत हुई. आज भारत में करीब 1600 से ज्यादा चाय पत्ती बागान हैं, जिनमें से अधिकतम असम में हैं. भारत में प्रमुख किस्मों की चाय पत्ती उगाई जाती है.
भारत दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा चाय उत्पादक
आज भारत चाय पत्ती उत्पादन में दुनिया में दूसरे नंबर पर है, पहले नंबर पर चीन है. भारत काली चाय पत्ती (ब्लैक टी) का सबसे बड़ा उत्पादक और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा चाय पत्ती निर्यातक है. चाय पत्ती एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल 6.19 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चाय पत्ती की खेती होती है और सालाना लगभग 1394 मिलियन किलो चाय पत्ती का उत्पादन होता है. भारत देश में उत्पादित 83 प्रतिशत है. चाय पत्ती उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां करीब 20 लाख लोग चाय पत्ती उद्योग से रोजगार पाते हैं. असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक भारत के प्रमुख चाय पत्ती उत्पादक राज्य हैं.
किसानों के बीच लोकप्रिय चाय पत्ती की किस्में
- कश्मीरी कहवा: कश्मीर की खासियत, यह हरी चाय, केसर, दालचीनी और इलायची जैसी खुशबूदार चीजों के साथ बनाई जाती है. ठंडे मौसम में इसे गर्मागर्म पीना बेहद पसंद किया जाता है.
- कांगड़ा चाय: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा इलाके की यह चाय पत्ती हल्के फलदार स्वाद वाली होती है. ठंडी जलवायु के कारण इसकी पत्तियों में खास स्वाद और खुशबू आती है.
- असम चाय: असम की हरी-भरी घाटियों से आने वाली यह चाय पत्ती अपने गहरे रंग और मजबूत स्वाद के लिए जानी जाती है. यह तेज कैफीन कंटेंट के कारण एनर्जी बूस्टर के रूप में भी लोकप्रिय है.
- दार्जिलिंग चाय: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग की पहाड़ियों में उगने वाली यह चाय पत्ती हल्की, खुशबूदार और बेहद खास स्वाद वाली होती है.
- नीलगिरी चाय: दक्षिण भारत के नीलगिरी पहाड़ियों में उगने वाली यह चाय पत्ती भी सुगंधित और मुलायम स्वाद के लिए जानी जाती है.
- हर्बल चाय: तुलसी, अदरक, पुदीना, कैमोमाइल, लेमनग्रास जैसी जड़ी-बूटियों से बनी चाय पत्ती भी भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही है. यह चाय पत्ती सेहत के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है.
2 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी दे रही सरकार
भारत सरकार ने चाय पत्ती उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए टी डेवलपमेंट एंड प्रमोशन स्कीम शुरू की है. इसके तहत किसानों को आधुनिक उपकरण खरीदने पर 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है. ऑर्गेनिक चाय पत्ती प्रमाणन के लिए भी सरकार 50 प्रतिशत तक लागत वहन करती है. इसके अलावा, चाय पत्ती फैक्ट्री लगाने के लिए 2 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी का भी प्रावधान है.