सूरजमुखी की खेती आजकल बहुत ही लोकप्रिय और मुनाफे वाली हो गई है. यह न केवल अपनी खूबसूरत, चमकदार फूलों के लिए जाना जाता है, बल्कि इसका व्यावसायिक उपयोग भी बहुत है. सूरजमुखी का पौधा अलग-अलग जलवायु और मिट्टी में अच्छे से उग सकता है, इसलिए यह लगभग हर जगह उगाया जा सकता है. इसके बीज से तेल, पशु आहार और बायोफ्यूल जैसी चीजें बनाई जाती हैं, जो कई उद्योगों में उपयोग होती हैं.
सूरजमुखी की खेती से आप सिर्फ सुंदर फूल ही नहीं, बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. अगर आप खेती में नए हैं या सूरजमुखी उगाने का सोच रहे हैं, तो यह एक बेहतरीन और फायदेमंद विकल्प हो सकता है. आइए, जानते हैं सूरजमुखी की खेती से जुड़ी कुछ आसान और जरूरी बातें.
उपयुक्त मिट्टी
सूरजमुखी को अच्छे से उगाने के लिए बालू-दार मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है, लेकिन यह काली मिट्टी में भी अच्छी तरह से उग सकता है. मिट्टी में पानी की अच्छी निकासी और उपजाऊपन होना जरूरी है. सूरजमुखी हल्की क्षारीय (alkaline) मिट्टी में भी अच्छी तरह से बढ़ता है. मिट्टी का pH 6.5 से 8.0 के बीच होना चाहिए.
मिट्टी की तैयारी
सूरजमुखी की खेती के लिए मिट्टी को तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण है. इसके लिए आपको खेत में 2-3 बार हल चलाने की जरूरत होती है. इससे मिट्टी में नमी और पोषक तत्व अच्छे से समाहित हो जाते हैं, जिससे पौधों को अच्छी वृद्धि मिलती है.
बीज बोने का समय
सूरजमुखी के बीज बोने का सबसे अच्छा समय जनवरी के अंत तक होता है. अगर आप फरवरी में बीज बोते हैं, तो यह उत्पादन को कम कर सकता है. बीजों को 4-5 सेंटीमीटर गहरा बोना चाहिए. पौधों के बीच 30 सेंटीमीटर और पंक्ति दर पंक्ति 60 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए. सामान्य बीज दर 2-3 किलोग्राम प्रति एकड़ होती है, जबकि हाइब्रिड बीज के लिए यह 2.5 किलोग्राम प्रति एकड़ हो सकता है.
बीज उपचार
बीजों को बोने से पहले 24 घंटे पानी में भिगोकर छांव में सुखाना चाहिए. इससे बीजों में नमी बनी रहती है और वे अच्छे से अंकुरित होते हैं. इसके बाद बीजों को थिराम और मेटलाक्सिल से उपचारित करें ताकि मिट्टी से फैलने वाली बीमारियों और कीटों से बचाव हो सके.
सिंचाई की आवश्यकता
सूरजमुखी को 9-10 बार सिंचाई की जरूरत होती है. सबसे पहले, 30 दिन बाद सिंचाई करनी चाहिए. जब फूल आ रहे हों और आटे की अवस्था में फसल हो, तब सिंचाई बेहद जरूरी होती है. भारी मिट्टी में सिंचाई का अंतराल 20-25 दिन होना चाहिए, जबकि हल्की मिट्टी में यह 8-10 दिन का हो सकता है.
परागण और निराई-गुड़ाई
सूरजमुखी का परागण मुख्य रूप से मधुमक्खियों द्वारा होता है. यदि मधुमक्खियां उपलब्ध नहीं हैं, तो आप सुबह के समय हाथ से परागण कर सकते हैं. पहले 45 दिनों तक खेत को घास से मुक्त रखें. पहले निराई को 2-3 सप्ताह बाद और दूसरे निराई को 3 सप्ताह बाद करें.
सूरजमुखी की फसल की कटाई
जब सूरजमुखी के पौधों की पत्तियां सूख जाएं और फूलों का रंग पीला पड़ने लगे, तो यह फसल काटने का सही समय है. अगर आप कटाई में देरी करते हैं, तो कीटों का हमला हो सकता है और फसल गिर सकती है.
बीजों को निकालना
फूलों को काटकर 2-3 दिन सूखने के लिए छोड़ दें. इससे बीज निकालना आसान हो जाता है. आप फूलों को थपथपा कर या रगड़ कर बीज निकाल सकते हैं. बीजों को सूखा कर रखें, ताकि उनमें नमी केवल 9-10% रहे. इसके बाद उन्हें स्टोर कर सकते हैं.
सूरजमुखी के फायदे
सूरजमुखी का तेल खाना पकाने में प्रयोग किया जाता है, और इसके बीज भी बहुत पौष्टिक होते हैं. इन बीजों को डाइट में शामिल किया जा सकता है. सूरजमुखी की खेती से न केवल आर्थिक लाभ होता है, बल्कि यह जमीन के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है.