उत्तर प्रदेश में गन्ने की बुवाई लगभग अपने अंतिम दौर में है. ऐसे में गन्ने की फसल तय मापदंडों के अनुसार बढ़ रही है. फसल बढ़ने के साथ-साथ गन्ने की फसल में खरपतवार लगने का भी दौर शुरू हो चुका है. यह स्थिति किसानों के लिए मुसीबत बन रही है. क्योंकि, समय रहते गन्ने की फसल पर ध्यान न दिया जाए तो ये खरपतवार फसल को बर्बाद कर सकते हैं. ये खरपतवार गन्ने के पौधे को विकसित नहीं होने देते हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग ने गन्ने की फसल में लगने वाले खरपतवारों और उनसे बचाव के तरीके किसानों को बताए हैं.
गन्ने की फसल को चौपट कर रहे खरपतवार
अप्रैल के महीने में गन्ने की फसल पर खरपतवार लगने लगती हैं. सेवानी, खरमकरा, दूब,मोथा जनकी, कांस, फुलवा, मकोय, हिरनखुरी, महकुवा, पत्थरचटटा, बड़ी दुदधी, हजारदाना, कृष्णनील, नर, नील कमली, मुमिया, तिनपतिया, जुगली जूट, बथुआ, खारथआ व लटजीरा जैसी खरपतवारे हैं जो गन्ने की फसल पर आक्रमण कर फसल को बर्बाद कर देती हैं. बता दें कि जून के बाद आपको गन्ने की फसल पर खरपतवार नजर नहीं आएंगी. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इन खरपतवारों के कारण गन्ने की उपज 40 फीसदी तक कम हो जाती है.
किसान ऐसे करें फसल का बचाव
गन्ने की फसल को खरपतवार से बचाने के लिए कृषि यंत्र जैसे कस्सी, कुदाली, फावड़, कल्टीवेटर आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर फसल की बुवाई के एक सप्ताह के अंदर फसल की गुडई कर दी जाए और हर सिंचाई के बाद एक गुडई करके भी फसल को खरपतवार से बचाया जा सकता है. अगर खेत में ज्यादा लोग उपलब्ध नहीं है तो गन्ने की खेत की शुरुआत में ही दौ बैलों या ट्रैक्टर की मदद से कल्टीवेटर से अप्रैस से जून के महीने में खेत की गुडई करनी चाहिए.
ये दवाएं भी हैं कारगर
गन्ने की फसल को खरपतवार से बचाने के लिए आप फसल पर दवाओं का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. सिमैजीन, आईसेप्लेनोटाक्स, एट्राजीन जैसी दवाओं के सही इस्तेमाल से फसल को बचाया जा सकता है. लेकिन दवा के छिड़काव के समय आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा जैसे- कोई भी दवा छिड़कने से पहले गन्ने के खेत की एक बार अच्छे से गुडई कर लेनी चाहिए. ध्यान रहें आर दवा का छिड़काव तब करें जब खेत में पर्याप्त नमी हो. खरपतवार से गन्ने की फसल के बचाव के लिए जरूरी है कि गन्ने की बुवाई के बाद 7 से 15 दिन और 50 से 65 दिन के अंदर दवा का छिड़काव कर दें.