साठा धान की खेती पर क्यों लगा है बैन? डीएम ने खड़ी फसल पर चलवाया ट्रैक्टर

कृषि विज्ञान केंद्र रामपुर के प्रमुख डॉक्टर मयंक कुमार राय ने बताया कि गर्मियों में धान की फसल में ज्यादा पानी लगता है. धान खरीफ सीजन की फसल है. लेकिन, गर्मियों में धान की खेती करना नेचर के खिलाफ है.

Noida | Published: 30 Mar, 2025 | 04:52 PM

धान की खेती यूं तो देशभर में खूब की जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश में खास वक्त में खास किस्म की धान की बुवाई करने पर प्रतिबंध लगाया गया है. दरअसल, गिरते भूजल स्तर और जल संकट के मद्देनजर गर्मियों के दिनों में यानी जायद सीजन में धान की खेती पर रोक लगाई गई है. गर्मियों में जिस धान की खेती करते हैं उसे साठा धान कहा जाता है, क्योंकि यह केवल 60 दिनों में पककर तैयार हो जाता है. रामपुर जिले के डीएम ने इलाके के एक खेत में बोई गई साठा धान की फसल में ट्रैक्टर चलवाकर उसे नष्ट करा दिया है.

यूपी समेत इन राज्यों में साठा धान की खेती प्रतिबंधित

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की ओर से फरवरी में किसानों को चेतावनी जारी करते हुए साठा धान की बुवाई करने पर रोक लगाई गई थी. किसानों से कहा गया कि जायद सीजन में साठा धान की बुवाई की बजाय मक्का, उड़द-मूंग की बुवाई करें. राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की अगुवाई में किसानों को उड़द और मूंग के बीजों की मिनी किट मुफ्त में उपलब्ध कराई गई है. यूपी के अलावा हरियाणा और पंजाब में पहले से ही साठा धान की खेती प्रतिबंधित है.

साठा धान पर क्यों लगा है प्रतिबंध

कृषि एक्सपर्ट कहते हैं कि जायद सीजन में ग्रीष्मकालीन धान यानी साठा धान की खेती में अत्यधिक पानी का इस्तेमाल करती है. इससे भूजल दोहन बढ़ता है, जबकि जमीन के बंजर होने का खतरा भी रहता है. इसीलिए साठा धान को नदियों और जलाशयों का दुश्मन भी कहा जाता है. धान की अन्य किस्में औमतौर पर 3-4 महीनों में तैयार होती हैं, जबकि साठा धान अपने नाम की तरह ही केवल 60 दिनों में पक जाती है. इससे किसान इस धान की बुवाई के लिए आकर्षित होते हैं. हालांकि, यह भूजल स्तर के लिए खतरनाक किस्मों में गिनी जाती है. इसीलिए इस पर रोक लगाई गई है.

साठा धान के खेत में ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कराई पौध

रामपुर के जिलाधिकारी जोगिंदर सिंह ने फरवरी महीने में जिले के किसानों को साठा धान की खेती करने से किसानों को मना किया था और मक्का, उड़द समेत दूसरी फसलों की खेती करने की सलाह दी थी. जिलाधिकारी ने किसानों से अपील करते हुए कहा था कि साठा धान की खेती करने वालों की सूचना दें. इसी क्रम में बीते 18 मार्च को ग्राम लालपुर कला मजरा रुद्रपुर में साठा धान की खेती की सूचना मिलने पर एसडीएम टांडा ने 0.219 हेक्टेयर में लगाई गई साठा धान की पौध को ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कराया.

satha paddy ban

धान की बजाय इन फसलों के बीज मुफ्त पाएं

जिलाधिकारी ने कहा है कि साठा धान की खेती प्रतिबंधित है. साठा धान के लगाने से भूगर्भ जल स्तर तेजी से नीचे जाने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि साठा धान की जगह पर अन्य कम पानी चाहने वाली और अधिक लाभ देने वाली फसलों की खेती करें. उन्होंने कहा कि किसान उड़द, मूंग, सूरजमुखी, मक्का, सब्ज़ियों आदि की बुवाई कर सकते हैं. जिलाधिकारी के अनुसार राजकीय बीज भंडार पर किसानों को मक्का बीज 50 फीसदी छूट पर उपलब्ध है. इसी तरह उड़द, मूंग बीज की मिनी किट किसानों को मुफ्त उपलब्ध कराई जा रही हैं.

गर्मियों में धान की खेती नेचर के खिलाफ है- कृषि वैज्ञानिक

कृषि विज्ञान केंद्र रामपुर के प्रमुख डॉक्टर मयंक कुमार राय ने ‘किसान इंडिया’ से बातचीत में कहा कि यूपी में साठा धान की खेती पर रोक लगाई गई है. उन्होंने कहा कि गर्मियों में पानी की किल्लत होती है और धान की फसल में आम फसलों की तुलना में ज्यादा पानी का इस्तेमाल होता है. गर्मियों में दिन बड़ा होता है और तापमान गर्म रहने से पानी की जरूरत भी ज्यादा रहती है. गर्मियों के मौसम में किसान धान की खेती करते हैं और बुवाई से लेकर कटाई तक फसल में पानी लगाए रहते हैं. उन्होंने कहा कि आमतौर पर 1 किलो चावल के लिए 3 से 4 हजार लीटर पानी लगता है. लेकिन, यूपी में गर्मियों के दौरान धान की खेती करने पर 3-4 गुना ज्यादा पानी की जरूरत होती है.

एक्सपर्ट ने सब्जियों की खेती करने की दी सलाह

डॉक्टर मयंक कुमार राय ने बताया कि धान खरीफ सीजन की फसल है. उस समय मॉनसून होता है और बारिश होती है. लेकिन, गर्मियों में धान की खेती करना नेचर के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि दक्षिण के राज्यों में इस समय भी धान की खेती होती है क्योंकि वहां का तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं जाता है और अगर नीचे जाता भी है तो वहां हवा और मिट्टी में मॉइस्चर ज्यादा रहता है, जो फसल को फायदा पहुंचाता है. उन्होंने कहा कि धान की बजाय सब्जियों में तोरई, खीरा, कद्दू की खेती करना किसानों को ज्यादा लाभ देगी.

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