लाल एलोवेरा की खेती से किसानों की कमाई होगी दोगुनी, ऐसे करें शुरुआत

एलोवेरा वैसे तो पहले से ही काफी लोकप्रिय है, लेकिन रेड एलोवेरा की खास बात यह है कि इसके पत्ते गाढ़े लाल रंग के होते हैं.

नई दिल्ली | Published: 28 Apr, 2025 | 01:11 PM

अगर आप किसान हैं और अपनी छोटी-सी जमीन से अच्छी कमाई करना चाहते हैं, तो रेड एलोवेरा की खेती आपके लिए एक सुनहरा मौका साबित हो सकती है. एलोवेरा वैसे तो पहले से ही काफी लोकप्रिय है, लेकिन रेड एलोवेरा की खास बात यह है कि इसके पत्ते गाढ़े लाल रंग के होते हैं. वहीं इसकी सबसे बड़ी खासियत इसके औषधीय गुण हैं, जिनकी वजह से इसे दवाइयों और सौंदर्य उत्पाद बनाने वाली कंपनियों में खूब इस्तेमाल किया जा रहा है. तो चलिए जानते हैं कैसे करें रेड एलोवेरा की खेती.

रेड एलोवेरा के फायदे

रेड एलोवेरा न सिर्फ त्वचा की समस्याओं के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, शुगर कंट्रोल करने और एंटीबायोटिक गुणों के लिए भी जाना जाता है. यही वजह है कि इसकी मांग लगातार बढ़ रही है और यह किसानों के लिए कमाई का अच्छा जरिया बन चुका है.

खेती की शुरुआत कैसे करें?

रेड एलोवेरा की खेती शुरू करने से पहले आपको खेत की अच्छी तैयारी करनी होती है. सबसे पहले जमीन को समतल बना लें और उसमें से खरपतवार हटा दें. इसके बाद खेत में गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट मिलाना बहुत जरूरी है ताकि मिट्टी में पोषक तत्व भरपूर रहें. दीमक से फसल को बचाने के लिए नीम की खली डालना भी फायदेमंद रहता है.

इस फसल को आप दो तरीकों से उगा सकते हैं, पहला एक, जड़ से निकलने वाले छोटे पौधों से, जिन्हें ‘रूट सकर्स’ कहा जाता है, और दूसरा, जमीन के अंदर मिलने वाले राइजोम कटिंग से. इन कटिंग्स को कुछ दिन छाया में सुखाकर लगाना होता है ताकि वो अच्छे से जम जाएं.

मिट्टी और मौसम

रेड एलोवेरा को खास किस्म की मिट्टी की जरूरत नहीं होती. यह हल्की, रेतीली और जैविक तत्वों से भरपूर मिट्टी में अच्छे से उगता है. लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि खेत में पानी जमा न हो, वरना जड़ें सड़ सकती हैं. मिट्टी का पीएच 7 से 8.5 के बीच होना चाहिए. जहां तक बात मौसम की है, तो यह फसल गर्म और थोड़ी-सी नमी वाली जलवायु में अच्छे से बढ़ती है. राजस्थान और गुजरात जैसे राज्य इसके लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं क्योंकि वहां का तापमान और बारिश का स्तर इस फसल के लिए अनुकूल होता है.

सिंचाई और देखभाल

रेड एलोवेरा की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. साल में बस 4-5 बार सिंचाई इसके लिए काफी रहती है. खासतौर पर जब पौधा नया होता है और फिर जब पत्तियां काटी जाती हैं, उस समय थोड़ा पानी देना जरूरी होता है. बारिश के मौसम में खास ध्यान रखें कि खेत में पानी न जमा हो. अब तो कई किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति अपनाकर और भी अच्छी फसल ले रहे हैं.

रोग और कीट से बचाव

रेड एलोवेरा में सबसे आम समस्या फंगल इंफेक्शन की होती है जिससे पत्तियों पर सफेद धब्बे आ सकते हैं. अगर पानी ज्यादा हो गया हो या खेत में नमी अधिक रहती हो, तो यह समस्या बढ़ सकती है. इसलिए समय-समय पर जैविक फफूंदनाशकों का उपयोग करना जरूरी है. इसके अलावा कीटों से बचाने के लिए आप लहसुन के रस, नीम का तेल या इनसेक्टिसाइडल सोप का छिड़काव कर सकते हैं. ये प्राकृतिक उपाय होते हैं और फसल को सुरक्षित रखते हैं.

फसल कब और कैसे काटें?

रेड एलोवेरा की फसल आप लगने के 8–9 महीने बाद काट सकते हैं. अक्टूबर और नवंबर के महीने इसकी कटाई के लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं. जब पत्तियां काटें तो ध्यान रखें कि ज्यादा जोर से न खींचें, ताकि पत्तों में मौजूद बहुमूल्य रस बेकार न हो जाए. एक बार खेत तैयार हो जाए तो आप 3–4 साल तक उसी पौधों से फसल ले सकते हैं.

किसानों को कैसे मिलेगा फायदा?

अब सवाल आता है कि इससे कमाई कितनी हो सकती है? तो इसका सीधा जवाब है बहुत अच्छी. एक हेक्टेयर खेत से आप हर साल करीब 15 से 20 टन तक रेड एलोवेरा की पत्तियां प्राप्त कर सकते हैं. इनकी बाजार में कीमत ₹20 से ₹30 प्रति किलो तक होती है. यानी कुल मिलाकर अच्छी आय हो सकती है. इतना ही नहीं, अगर आप खुद से एलोवेरा जेल, जूस या सौंदर्य उत्पाद बनाकर बेचें, तो कमाई और भी बढ़ जाती है.