राजस्थान सरकार प्रकृति की ओर लौट रही है. अब फिर से खेतों में बैलों के घुंघरुओं की आवाज सुनाई देगी. राज्य सरकार ने गोवंश को बढ़ावा देने के लिए बैलों से खेती करने वाले किसानों को 30 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि देने की बजट में घोषणा की है. सरकार की इस पहल से बैलों के उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा और सीमांत किसानों को आर्थिक फायदा हो सकेगा. चलिए जानते हैं कि कौन से किसान इसका लाभ उठा सकते हैं और उसके लिए कौन सी बातों का ध्यान रखना जरूरी है?
किसे मिलेगा योजना का फायदा
इस योजना का फायदा वही किसान ले सकेंगे जिनके पास बैलों की एक जोड़ी है और जो उनसे खेत में काम कर रहे हैं. इसके अलावा, किसान के पास सीमांत या लघु किसान होने का प्रमाण पत्र होना चाहिए, जो तहसीलदार की ओर से जारी किया गया हो और इसके लिए बैलों का बीमा और स्वास्थ्य प्रमाण पत्र भी जरूरी है. इसके अलावा बैलों की उम्र 15 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. वहीं कुछ खास मामलों में मंदिर की जमीन पर खेती करने वाले पुजारी भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं. वहीं, आदिवासी इलाकों में वनाधिकार पट्टे वाले किसान भी आवेदन कर सकते हैं.
किस तरह मिलेगा अनुदान?
राजस्थान सरकार की इस योजना में किसानों को सीधे खाते में 30,000 रुपये की सहायता दी जाएगी, लेकिन इसके लिए एक तय प्रक्रिया अपनाई जाएगी. आइए समझते हैं, कैसे मिलेगा यह अनुदान-
1. ऑनलाइन आवेदन मिलने के बाद अधिकारी ऑनलाइन स्क्रूटनी करेंगे.
2. पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर आवेदनों का निस्तारण किया जाएगा.
3. पात्र आवेदनों की पत्रावलियों पर 10 दिन में प्रशासनिक मंजूरी देनी होगी.
4. उप जिलों को आवंटित लक्ष्य के अनुसार ही प्रशासनिक मंजूरी दी जाएगी.
5. प्रशासनिक मंजूरी की सूचना किसान को भी मोबाइल पर भेजी जाएगी.
6. बैलों से खेती का फिजिकल वेरिफिकेशन विभागीय अधिाकरी, पटवारी द्वारा की जाएगी.
7. सत्यापन के दौरान पशुपाल विभाग के कार्मिक भी मौजूद रहेंगे.
8. सत्यापन के बाद किसानों के लिए 30 हजार राशि की वित्तीय मंजूरी दी जाएगी.
आवेदन के लिए इन दस्तावेजों को होना जरूरी
- 1.आधार कार्ड और जन आधार कार्ड
- 2. बैलों के साथ किसान की फोटो
- 3. बैलों की बीमा पॉलिसी और स्वास्थ्य प्रमाण पत्र
- 4. महीने से नई जमाबंदी की नकल
- 5. वनाधिकार पट्टे की कॉपी (अगर जमीन खुद की न हो)
- 6. 100 रुपये के नॉन ज्यूडिशियल स्टांप पर शपथ पत्र