आपने सफेद मूली तो देखी होगी लेकिन क्या आपने लाल मूली के बारे में सुना है? लाल मूली को अधिकतर लोग कच्चा खाना पसंद करते हैं. इसका स्वाद तीखा नहीं होता, बल्कि हल्की और स्वादिष्ट होती है. यही वजह है कि इसे सलाद के रूप में खूब पसंद किया जाता है.
इसमें खून साफ करने वाले पोषक तत्व भरपूर होते हैं और ये पचने में भी आसान होती है. खास बात ये है कि इसे छिलके सहित खाना सेहत के लिए और भी फायदेमंद होता है. आइए जानते हैं कि किसान इसकी खेती करके कैसे मुनाफा कमा सकते हैं?
कैसी जमीन और मौसम की जरूरत?
लाल मूली की खेती के लिए वही जमीन अच्छी मानी जाती है, जिसमें सफेद मूली होती है. मतलब हल्की बलुई दोमट मिट्टी, जिसमें भरपूर जीवांश (फॉसिल) हो. इसके लिए मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. इस फसल को ठंडी जलवायु पसंद है. हालांकि ये 30-32°C तक में उगाई जा सकती है, लेकिन 20-25°C पर इसकी उपज सबसे अच्छी होती है.
खेत की तैयारी और किस्में
लाल मूली जड़ वाली फसल है, इसलिए जमीन को ढेले रहित और भुरभुरी बनाना बहुत जरूरी है. इसके लिए 4-5 बार जुताई करें और हर बार पाटा जरूर चलाएं. दो प्रमुख किस्में हैं – पहली रैपिड रैड वाइट ट्रिटड (लंबी जड़ वाली) और दूसरी स्कारलेट ग्लोब (गोल जड़ वाली).
खाद का सही तरीका
किसानों को चाहिए कि अच्छी उपज के लिए प्रति हेक्टेयर 8-10 टन गोबर की सड़ी खाद के साथ 80 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस और 60 किलो पोटाश दें. फास्फोरस और पोटाश बुवाई से पहले दे दें और नाइट्रोजन आधी-आधी मात्रा में दो बार दें – बुवाई से पहले और फिर 15-20 दिन बाद.
बीज की मात्रा और बुवाई का समय
अगर बीज लाइन से बोते हैं तो 8-10 किलो बीज काफी है, लेकिन छिड़काव विधि में 12-15 किलो लगता है. बुवाई का सही समय सितंबर के मध्य से अक्टूबर तक है. बीज को 2-3 मिमी की गहराई में बोएं और पंक्तियों में 45 सेमी व पौधों में 8-12 सेमी दूरी रखें.
सिंचाई और देखभाल
पहली सिंचाई तब करें जब पौधा अंकुरित होकर 10-12 दिन का हो जाए. फिर हर 10-12 दिन पर सिंचाई करें. ज्यादा पानी से बचें, ताकि मेढ़ डूबे नहीं. घास की सफाई के लिए हाथ से 1-2 बार निराई-गुड़ाई करें. जड़ अच्छी बने इसके लिए मिट्टी चढ़ाना जरूरी है.
तुड़ाई और उपज
फसल 40 दिन में तैयार हो जाती है. मूली को समय पर उखाड़ें और साफ करके पत्तियों सहित बाजार भेजें, जिससे ताजगी बनी रहे. सही देखभाल से 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिल सकती है.
बीमारियां और कीटों से बचाव
पत्तियों पर धब्बों से बचने के लिए बीज को बाविस्टिन से ट्रीट करें और फसल पर 0.2% घोल का छिड़काव करें. इसको अफिड्स और सूंडी जैसे कीटों से बचने के लिए रोगोर या मेलाथियान का 1% घोल छिड़कें.