किसानों पर कुदरत का कहर, आंधी-बारिश ने बर्बाद की पपीता और आम की खेती

अप्रैल महीने में बारिश और ओलावृष्टि के चलते पपीता, आम और केला की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. कृषि विभाग के आकड़ों के मुताबिक 110 करोड़ रुपये की फसलें बर्बाद हो गई हैं.

नोएडा | Updated On: 28 Apr, 2025 | 10:32 PM

क्या होता है जब आप पूरी जिंदगी एक ख्वाब को पलने में बिता देते हैं और वो ख्वाब पल भर में टूट जाए? कर्नाटक के कोप्पल जिले में कुछ ऐसा ही हुआ. 28 अप्रैल को आसमान ने अपनी पूरी ताकत के साथ किसानों पर कहर बरपाया. ओलावृष्टि और आंधी के साथ आई बारिश ने खेतों में खड़ी फसलों को बर्बाद कर दिया. पपीते और आम की फसलें जो कुछ दिन पहले तक किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाती थीं, अब बर्बादी का गवाह बनी हैं. ये कोई पहली बार की घटना नहीं है इसके पहले भी इसी महीने की 13 तारीख को आई आंधी और ओलावृष्टि ने किसानों की उम्मीदों को चूर-चूर कर दिया था.

पपीते और आम की फसल चौपट

कर्नाटक के कोप्पल में आज 28 अप्रैल को भारी ओलावृष्टि और बारिश से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. सबसे ज्यादा नुकसान आम की फसल को पहुंचा है. रिपोर्ट के अनुसार कई सौ एकड़ में पपीता की खेती और आम के बागानों को नुकसान पहुंचा है. आम के पकने को तैयार फलों के गिरने से बागवानों को भारी क्षति पहुंची है. जबकि, कोप्पल के ज्यादातर इलाकों में पपीते के साथ अन्य फसलों को भी नुकसान हुआ है.कई जगह आम के पेड़ और बिजली के खंभे भी उखड़ गए. इतना ही नहीं इस ओलावृष्टि से लोंगो के घरों को भी क्षति पहुंची है. मतलब फसलों के साथ-साथ किसानों को अपने घरों के क्षतिग्रस्त होने का नुकसान झेलना पड़ा है.

10 हजार हेक्टेयर में खेती तबाह

इसके पहले आई 13 अप्रैल की आंधी और ओलावृष्टि ने किसानों की उम्मीदों को चूर-चूर कर दिया था. कृषि विभाग के मुताबिक इस आपदा ने कोप्पल जिले के लगभग 10 हजार हेक्टेयर भूमि को तबाह कर दिया है. अनुमानित फसल नुकसान की कीमत 110 करोड़ रुपये है. इस बार कोप्पल जिले के गंगावती, कनकगिरी और करटगी तालुका में किसानों की जो मेहनत रंग लाई थी, वह अब पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. जहां पहले हर खेत हरियाली से भरा था, अब वहां सूखा हुआ कागज और टूटे पेड़ दिख रहे हैं.

हरियाली की जगह खड़ी है बर्बादी

गंगावती में 3,925 हेक्टेयर, करटगी में 4,181 हेक्टेयर और कनकगिरी में 2,522 हेक्टेयर भूमि पर ओलावृष्टि ने कहर मचाया. इन जगहों पर खड़ी फसलों को नष्ट कर दिया और साथ ही कई घरों और बिजली के खंभों को भी उखाड़ फेंका. यह आपदा केवल फसलों का ही नहीं, बल्कि किसानों की जीवनशैली का भी नुकसान था.

बिजली गिरने से 2 किसानों की मौत

इस प्राकृतिक आपदा में केवल खेतों को ही नहीं, बल्कि इंसानियत को भी गहरे जख्म पहुंचे. कोप्पल तालुका के चुक्कानकल्लू गांव में बिजली गिरने से दो किसानों की जान चली गई. यह घटना बताती है कि प्रकृति के गुस्से का सामना किसी के लिए भी आसान नहीं होता. पीड़ित किसानों ने राज्य सरकार से फसल नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की मांग की है.

Published: 28 Apr, 2025 | 07:59 PM