ऑर्गेनिक के नाम पर बिक रहे केमिकल रंग, ऐसे करें असली-नकली की पहचान

अगर आप किसी रंग की शुद्धता को परखना चाहते हैं, तो सबसे आसान तरीका है उसे पानी में घोलकर देखना. प्राकृतिक रंग धीरे-धीरे पानी में घुलते हैं और हल्के होते हैं.

Noida | Published: 12 Mar, 2025 | 03:49 PM

होली का त्योहार आते ही बाजारों में ऑर्गेनिक और हर्बल रंगों की भरमार हो जाती है. लेकिन क्या सच में ये रंग प्राकृतिक होते हैं, या सिर्फ नाम के लिए ‘ऑर्गेनिक’ का टैग लगा दिया जाता है? अक्सर लोग यह सोचकर महंगे रंग खरीदते हैं कि वे सुरक्षित हैं, लेकिन उनमें भी हानिकारक केमिकल मिले हो सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप असली और नकली ऑर्गेनिक रंगों की पहचान करना सीखें, ताकि आप होली के मजे के साथ अपनी त्वचा और सेहत का भी ध्यान रख सकें.

केमिकल वाले रंगों की पहचान कैसे करें?

 

पानी में घोलकर करें टेस्ट

अगर आप किसी रंग की शुद्धता को परखना चाहते हैं, तो सबसे आसान तरीका है उसे पानी में घोलकर देखना. प्राकृतिक रंग धीरे-धीरे पानी में घुलते हैं और हल्के होते हैं, जबकि केमिकल युक्त रंग तुरंत पानी में घुल जाते हैं और उनका रंग बहुत गहरा हो जाता है.

हाथों से रगड़कर देखें

आप अपने हाथों पर रंग रगड़कर भी इसकी पहचान कर सकते हैं. अगर रंग चिपचिपा लगता है और आसानी से साफ नहीं होता, तो यह केमिकल से बना हो सकता है. वहीं, प्राकृतिक रंग बिना किसी परेशानी के जल्दी साफ हो जाते हैं और त्वचा पर किसी भी तरह की जलन नहीं होती.

गंध से करें पहचान

गंध से भी केमिकल वाले रंगों की पहचान की जा सकती है. अगर रंग में तेज पेट्रोलियम, डीजल या अमोनिया जैसी गंध आ रही है, तो यह हानिकारक हो सकता है. प्राकृतिक रंगों में किसी तरह की तीखी गंध नहीं होती, बल्कि वे हल्की और सॉफ्ट खुशबू वाले होते हैं.

सफेद कपड़े पर टेस्ट करें

इसके अलावा, सफेद कपड़े पर रंग लगाकर भी इसे जांचा जा सकता है. अगर रंग बहुत चमकीला और गहरा नजर आता है, तो उसमें केमिकल मिले होने की संभावना अधिक होती है.

त्वचा पर असर देखें

त्वचा पर इसका असर देखने के लिए अगर कोई रंग लगाने के बाद खुजली, जलन या लाल चकत्ते हो रहे हैं, तो समझ जाइए कि यह केमिकल से बना रंग है और इसका इस्तेमाल तुरंत बंद कर देना चाहिए.

कैसे बचें केमिकल वाले रंगों से?

केमिकल वाले रंगों से बचने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि हर्बल या घर पर बनाए गए रंगों का इस्तेमाल करें. फूलों, हल्दी, चंदन, पालक और चुकंदर से बने रंग पूरी तरह से प्राकृतिक होते हैं और त्वचा के लिए सुरक्षित होते हैं. बाजार से रंग खरीदते समय हमेशा ब्रांडेड और ऑर्गेनिक उत्पादों को ही चुनें और सस्ते, लोकल रंगों से बचें क्योंकि इनमें अधिकतर केमिकल मिले होते हैं.

होली खेलने से पहले त्वचा पर नारियल तेल या सरसों का तेल लगाने से एक सुरक्षात्मक परत बन जाती है, जिससे हानिकारक रंग सीधे त्वचा पर असर नहीं डाल पाते. इसी तरह, बालों की सुरक्षा के लिए भी तेल लगाना बेहद जरूरी है, ताकि रंग बालों को रूखा और कमजोर न बना सके. इसके अलावा, चेहरे और आंखों को सुरक्षित रखने के लिए धूप का चश्मा और टोपी पहनना एक अच्छा उपाय हो सकता है.