खेती की घटती उत्पादन क्षमता और क्वालिटी को बेहतर करने के लिए केंद्र सरकार ने प्राकृतिक खेती मिशन की शुरूआत की है. केंद्र का फोकस मानव स्वास्थ्य के लिए बेस्ट क्वालिटी की उपज हासिल करना है. इसके लिए सरकार देशभर में 10 हजार जैविक कृषि केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है. जबकि, 18 लाख से ज्यादा किसानों को ट्रेनिंग देने का ऐलान किया गया है. योजना के तहत किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी और उन्हें ट्रेनिंग के दौरान कृषि एक्सपर्ट नए इनोवेशन और तकनीक समेत अन्य सुविधाएं की जानकारी भी देंगे.
मिट्टी की ताकत बढ़ाने के लिए मिशन की शुरुआत
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार प्राकृतिक खेती मिशन के जरिए मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के साथ ही ताकतवर खाद्यान्न और सब्जी आदि का उत्पादन करना है. आज के समय में किसान अपनी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए लगातार कई रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं. जिस कारण फसलों की गुणवत्ता कम होती और मिट्टी के पोशाक तत्वों में भारी कमी देखने को मिलती हैं. इस समसयां को हाल करते हुए केंद्र कृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देते हुए 25 नवंबर 2024 में लॉन्च की गई हैं.
देशभर में 10 हजार जैविक केंद्र बनेंगे
सरकार ने इस योजना के तहत कई ठोस कदम उठाए हैं, जिससे किसान प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ा सकें. जिनमें 10,000 जैविक केंद्र देशभर में बनाए जाएंगे, जहां से किसान प्राकृतिक खेती के लिए जरूरी सामग्री जैसे जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत आदि प्राप्त कर सकेंगे.
प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग पाएंगे 18 लाख किसान
प्राकृतिक खेती मिशन के तहत देशभर में 2,000 मॉडल खेत तैयार किए जाएंगे. इसके साथ ही प्राकृतिक खेती के लिए देशभर के 18.75 लाख किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वह खुद अपने खेत में जैविक खाद बना सकें और रासायनिक चीजों पर निर्भर न रहें.
30 हजार कृषि सखियों की नियुक्ति
किसानों को खेती से जुड़ी सही जानकारी देने के साथ ही उनका मार्गदर्शन करने के लिए देशभर में 30,000 कृषि सखियां नियुक्त की जा रही हैं. यह सखियां सहयोगी के रूप में किसानों को जरूरत के समय खेती से जुड़ी सहायता भी उपलब्ध कराएंगी, जिससे गांव स्तर पर ही आसानी से समाधान मिल सके.
कम लागत, ज्यादा मुनाफा
प्राकृतिक खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें फसलों की लागत काफी काम आती हैं. जिसे किसानों को महंगे खाद और कीटनाशक नहीं खरीदने पड़ते. वह इसे आसानी से देशी गाय के गोबर, गोमूत्र, नीम और अन्य जैविक तरीकों से खेत को उर्वरक बना सकता है. इससे न केवल खेती की लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है, बल्कि फल, सब्जियों और अनाज की गुणवत्ता भी बेहतर होती है, जो बाजार में अच्छे दाम दिलाने में मदद करती है.