NBHM: 4 हनी टेस्टिंग लैब और 35 मिनी लैब्स को मंजूरी, मधुमक्खी पालन को बढ़ावा मिलेगा

राष्ट्रीय बीकीपिंग और हनी मिशन देश में मधुमक्खी पालन को वैज्ञानिक तरीके से बढ़ावा देने और शहद उत्पादन को बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है. इस मिशन के तहत शहद की गुणवत्ता सुधारने के लिए हनी टेस्टिंग लैब्स स्थापित की जा रही हैं.

नोएडा | Updated On: 20 Apr, 2025 | 02:48 PM

देश में कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर और किसानों की आय को दोगुना करने के लिए केंद्र सरकार लगातार कई कदम उठा रही है. इन्हीं में से एक है ‘नेशनल बीकीपिंग एंड हनी मिशन (NBHM)’, जिसे साल 2020 में ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत शुरू किया गया. इस योजना का मकसद है भारत में वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना. मधुमक्खी पालन यानी बीकीपिंग, सिर्फ शहद उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह फसलों के परागण (pollination) में अहम भूमिका निभाता है जिससे पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने मधुमक्खी पालन को कृषि का 5वां इनपुट (Input) घोषित कर दिया है. यानी अब जैसे बीज, खाद, पानी और कीटनाशक खेती के जरूरी तत्व हैं, वैसे ही मधुमक्खी पालन भी कृषि की मूलभूत जरूरतों में गिना जाएगा.

शहद की गुणवत्ता सुधारने पर जोर

देश में शुद्ध और गुणवत्ता युक्त शहद के उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए अब तक 4 विश्व स्तरीय हनी टेस्टिंग लैब और 35 मिनी लैब्स को मंजूरी दी गई हैं. यह लैब्स शहद की जांच करके यह तय करेंगी कि ग्राहकों तक सिर्फ शुद्ध शहद ही पहुंचे. बता दें इस मिशन की घोषणा 2017 में की गयी थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत के तहत ‘मीठी क्रांति’ के लक्ष्य को हासिल करना है.

डिजिटल माध्यम से किया गया बेकर्स का पंजीकरण

बीकीपिंग को संगठित (organized) रूप देने के लिए ‘मधुक्रांति पोर्टल’ की शुरुआत की गई है, जहां मधुमक्खी पालकों, शहद उत्पादन से जुड़ी संस्थाओं और कंपनियों को ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा दी गई है. अब तक इस पोर्टल पर 23 लाख बी कॉलोनियों को रजिस्टर किया जा चुका है, जो इस योजना की सफलता को दर्शाता है.

देशभर में बन रहीं 100 शहद उत्पाद समितियां (FPOs)

सरकार ने देशभर में 100 शहद उत्पादक एफपीओ (FPOs) बनाने का लक्ष्य रखा है. इनमें से 88 एफपीओ का गठन हो चुका है जिन्हें NAFED, NDDB और TRIFED जैसी संस्थाएं हैं. ये एफपीओ शहद उत्पादकों को बाजार से जोड़ने, प्रशिक्षण देने और तकनीकी मदद पहुंचाने का काम कर रही हैं.

बीकीपिंग मिशन खासियत

अब तक 25 राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों में यह योजना सफलतापूर्वक चलाई जा रही है. इसके लिए 202 करोड़ रुपये की लागत से 160 परियोजनाएं मंजूर की गई हैं. यह मिशन मुख्य रूप से तीन घटकों (MM-I, II & III) के तहत चलाया जा रहा है, जिनमें मधुमक्खी पालन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रेनिंग और मार्केटिं शामिल हैं.

एनबीएचएम के तीन मिनी मिशन क्या हैं

एनबीएचएम (राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन) के तीन मिनी मिशन हैं: मिनी मिशन-1 (वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन और परागण), मिनी मिशन-2 (मधुमक्खी पालन के बाद का प्रबंधन) और मिनी मिशन-3 (अनुसंधान और प्रौद्योगिकी उत्पादन).

मिनी मिशन-1: वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन और परागण

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य है वैज्ञानिक तरीकों से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना, जिससे परागण के माध्यम से फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में सुधार हो सके. साथ ही मधुमक्खी पालन उपकरण निर्माण और मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षण देना शामिल है. इस मिशन के तहत, एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र (आईबीडीसी)/सीओई, शहद परीक्षण प्रयोगशालाएं, मधुमक्खी रोग निदान प्रयोगशालाएं, कस्टम हायरिंग केंद्र, एपी-थेरेपी केंद्र आदि भी शामिल हैं.

मिनी मिशन-2: मधुमक्खी पालन के बाद का प्रबंधन

यह मिशन मधुमक्खी पालन के बाद के स्टेप्स पर फोकस करता है, जैसे कि संग्रहण, प्रसंस्करण, भंडारण, विपणन और मूल्यवर्धन है. मधुमक्खी पालन उत्पादों को बाजार में ले जाने और मधुमक्खी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े कदम शामिल हैं.

मिनी मिशन-3: अनुसंधान और प्रौद्योगिकी उत्पादन

इस मिशन का उद्देश्य मधुमक्खी पालन क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना और नई तकनीकों को विकसित करना है. इसके साथ ही इसमें मधुमक्खी पालन में नई तकनीकों के विकास और प्रसार पर ध्यान केंद्रित किया जाता है.

Published: 20 Apr, 2025 | 02:42 PM