भगवान बुद्ध से है जर्दालू आम का कनेक्शन, जीआई टैग मिलने से बाजार में मांग बढ़ी

इन दिनों बाजार में कई किस्म के आम आ रहे हैं. लेकिन, बिहार का जर्दालू आम काफी चर्चा में है. यह अपने स्वाद और तेज सुगंध के चलते काफी लोकप्रिय है और इसे जीआई टैग भी हासिल हो चुका है.

नोएडा | Updated On: 18 Apr, 2025 | 01:17 PM

गर्मियों के मौसम में बिहार के जर्दालू आम की मांग काफी बढ़ी रहती है. दावा किया जाता है कि भगवान बुद्ध को उपहार में मिले बाग में सबसे पहली बार जर्दालु आम के पेड़ पाए गए थे. ऐसा भी कहा जाता है कि भागलपुर के राजा ने इस आम की खेती शुरू की थी. यह आम अपने स्वाद के साथ ही तेज सुगंध के चलते भारत ही नहीं दुनियाभर में काफी लोकप्रिय है. इस आम को जीआई टैग भी हासिल हो चुका है. इस वजह से इसकी खेती करने वाले किसानों को अच्छी कीमत भी मिलती है.

बिहार के भागलपुर का जर्दालु आम अब न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी अपनी खुशबू और मिठास से पहचान बना चुका है. यह हल्के पीले रंग, तेज महक और स्वाद में मीठा होता है. इसकी लोकप्रियता और बाजार में भारी मांग को देखते हुए जर्दालु आम को सरकार की ओर से 2018 में जीआई टैग भी हासिल हो चुका है. यह आम न केवल किसानों की आजीविका का माध्यम है, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी बन गया है.

शौक से खा सकते हैं शुगर पेशेंट

जर्दालु आम का वजन आमतौर पर 220 से 250 ग्राम के बीच होता है. इसकी खासियत इसकी सुगंध होती है जो इसे दूर से ही पहचानने में मदद करती है. ये आम न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन होता है, बल्कि सेहत के लिहाज से भी काफी फायदेमंद है. फाइबर और खास एंजाइम्स से भरपूर होने के कारण ये पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है. इसके अलावा यह आम डायबिटीज के मरीजों के लिए भी सुरक्षित माना जाता है.

जल्दी खराब होने की समस्या है बड़ी चुनौती

भागलपुर का यह आम एक सीमित समय के लिए ही उपलब्ध होता है और जल्दी खराब भी हो सकता है. इस आम की सेल्फ लाइफ कम होने की वजह से बागवानों को इसे लंबे समय तक बचाकर रखना चुनौती बनता है. इस आम की खेती मुख्य रूप से बिहार के भागलपुर जिले में की जाती है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में इस आम की खेती की जाती है. सकी खेती लगभग 1600 हेक्टेयर में की जाती है और सालाना करीब 7500 टन उत्पादन होता है.

भागलपुर के महाराज ने शुरू की थी खेती

भौगोलिक संकेतक यानी जीआई टैग जर्नल में 28 नवंबर 2017 को प्रकाशित जानकारी में बताया गया है कि भागलपुर जिले के महाराजा रहमत अली खान बहादुर खड़गपुर ने जर्दालू आम की खेती शुरू की थी. बता दें कि जर्दालू आम का वैज्ञानिक नाम मैन्गीफेरा इंडिका (Mangifera indica) है.

भगवान बुद्ध को उपहार में मिला था बाग

जर्दालू आम न सिर्फ स्वाद के लिए जाना जाता है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है. दावा किया जाता है कि भगवान बुद्ध को एक आम का बाग उपहार में दिया गया था, ताकि वह बाग में छांव में आराम कर सकें. इस बाग में कुछ जर्दालू आम के पेड़ भी थे.

Published: 18 Apr, 2025 | 12:57 PM