नवरात्रि पर्व का आज 9वां दिन है और इन नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. हर दिन एक विशेष देवी स्वरूप की उपासना होती है, जो अलग-अलग गुणों और शक्तियों से परिपूर्ण होती हैं. नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित होता है. इसी कड़ी में आज हम जानेंगे कि मां कात्यायनी के स्वरूप का महत्व, पूजा विधि, और मां कात्यायनी की कथा के बारें में.
मनचाहा वर देती हैं मां कात्यायनी
नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा की जाती है. इस दिन विशेष रूप से उन लोगों को पूजा करनी चाहिए जिनके शादी में कोई रुकावटें या बाधा आ रही हों. कहा जाता है कि मां कात्यायनी अपनी विशेष कृपा से उन लड़कियों के विवाह के मार्ग को सरल करती हैं, जिनकी शादी में परेशानियां आ रही होती हैं. मां कात्यायनी को मनचाहा वर देने के लिए भी जाना जाता है. युवा लड़कियां और लड़के भी मां कात्यायनी की पूजा करते हैं और व्रत का पालन करते हैं.
कात्यायन ऋषि के घर जन्म लेने से पड़ा कात्यायनी नाम
मां कात्यायनी के बारे में पौराणिक कथा के अनुसार, जब तीनों लोकों में महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बढ़ गया और देवी देवता उसे मारने में असमर्थ हो गए, तो भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा के तेज से मां भगवती ने कात्यायन ऋषि के घर जन्म लिया. मां कात्यायनी का जन्म महिषासुर का वध करने के लिए हुआ था, और उन्होंने दशमी के दिन महिषासुर को मारकर तीनों लोकों को उसके प्रकोप से मुक्त किया था.
आज पूजा विधि और मुहूर्त का समय
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का महत्व बहुत अधिक है. इस दिन देवी कात्यायनी की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को आशीर्वाद मिलता है. पूजा के दौरान अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:59 बजे से दोपहर 12:49 बजे तक रहेगा, जबकि अमृत काल शाम 7:33 बजे से रात 9:07 बजे तक होगा. माता को प्रसन्न करने के लिए इस दिन खास तौर से शहद का भोग अर्पित करना चाहिए. शहद का भोग माता को काफी प्रिय होता है और इससे जीवन में मधुरता आती है.