हरियाणा में घटिया बीज बेचने पर होगी 3 साल की सजा, 5 लाख का जुर्माना!

हरियाणा सरकार का कहना है कि उत्पादकों और डीलरों की तरफ से सभी जरूरी स्‍टैंडर्ड्स को पूरा न करके बीज बेचने की घटनाओं में तेजी से इजाफा हो रहा है. ऐसे में यह कठोर संशोधन जरूरी था.

Noida | Published: 27 Mar, 2025 | 06:54 PM

हरियाणा सरकार ने बीज अधिनियम, 1966 में संशोधन किया है. उसका मानना है कि ऐसा वह किसानों के हितों की रक्षा और कृषि इनपुट की गुणवत्ता सुनिश्चित करने जा रही है. सरकार ने इस कदम को एक निर्णायक कदम करार दिया है. बीज (हरियाणा संशोधन) अधिनियम, 2025 को 12 मार्च को आए हरियाणा सरकार के राजपत्र में आधिकारिक तौर पर जारी किया गया है. इस फैसले को राज्य में बीजों की बिक्री, उत्पादन और वितरण को विनियमित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया जा रहा है.

क्‍या कहते हैं नए नियम

अधिनियम की धारा 19ए के तहत पेश किए गए संशोधन का मकसद घटिया बीजों की बिक्री को नियंत्रित करना है. इसकी वजह से किसानों की उत्पादकता पर गलत प्रभाव पड़ता है. साथ ही फसल उत्पादन की कुल लागत भी बढ़ जाती है. नए प्रावधानों के तहत, बीज अधिनियम, 1966 की धारा 7 के उल्लंघन को अब संज्ञेय और गैर-जमानती अपराधों के तौर पर करार दिया गया है. अगर कोई अपराध किसी कंपनी या उत्पादक की तरफ से किया जाता है, तो अपराध के जिम्मेदार व्यक्ति को एक से दो साल की जेल की सजा के साथ-साथ कम से कम एक लाख रुपये का जुर्माना भुगतना होगा जिसे तीन लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है.

कंपनियों को भी होगी सजा

ऐसे मामलों में जहां कंपनी या उत्पादक बार-बार अपराध करता है, दो से तीन साल की कैद और तीन लाख से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा होगी. धारा 7 के उल्लंघन में शामिल डीलरों या व्यक्तियों के लिए, छह महीने से एक साल के कारावास और पचास हजार से एक लाख रुपये के बीच जुर्माने का प्रावधान तय किया गया है. डीलरों या फिर व्यक्तियों की तरफ से बार-बार अपराध करने पर एक से दो साल की कैद और एक लाख से दो लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा का नियम बनाया गया है.

सरकार ने क्‍यों लिया यह फैसला

हरियाणा सरकार का कहना है कि उत्पादकों और डीलरों की तरफ से सभी जरूरी स्‍टैंडर्ड्स को पूरा न करके बीज बेचने की घटनाओं में तेजी से इजाफा हो रहा है. ऐसे में यह कठोर संशोधन जरूरी था. सरकार की मानें तो घटिया बीजों की बिक्री की वजह से कृषि उत्पादकता में कमी आई है. किसानों की लागत बढ़ी है और महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान हुआ है. इन चुनौतियों ने सरकार को इस अपराध को रोकने और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए सख्त नियम लागू करने के लिए प्रेरित किया.