खेती की सेहत सुधारने और नाइट्रोजन की कमी पूरी करने के लिए जंतर को हरी खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. यह एक ऐसी फसल है जिसे हर मौसम में उगाया जा सकता है, बशर्ते मिट्टी में नमी पर्याप्त मात्रा में हो.
जंतर न केवल मिट्टी की क्वालिटी सुधारता है बल्कि उसमें आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति भी करता है. इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन रेतीली दोमट से लेकर दोमट मिट्टी में सबसे अच्छे परिणाम मिलते हैं.
जंतर की बेहतरीन किस्में
- पंजाब ढैंचा-1
यह किस्म मोटे बीजों वाली होती है और तेजी से बढ़ती है. इसकी जड़ों में ज्यादा गांठें बनती हैं, जिससे यह मिट्टी में अधिक जैविक नाइट्रोजन प्रदान करती है. यह 3-4 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार देती है और लगभग 150 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
अन्य राज्यों में उगाई जाने वाली किस्में
- CSD 137
यह किस्म विशेष रूप से नमकीन और जलभराव वाली भूमि के लिए उपयुक्त है. यह 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और औसतन 133 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार देती है.
- CSD 123
उच्च स्तर के लवणीय और जलभराव वाली भूमि के लिए आदर्श यह किस्म 120 दिनों में कटाई योग्य हो जाती है. इसकी औसत पैदावार 112 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है.
खेती की तैयारी और आवश्यक देखभाल
- मिट्टी की तैयारी
मॉनसून आने से पहले खेत की गहरी जुताई करना आवश्यक है. जुताई के बाद खेत को खरपतवार और अनावश्यक जड़ों से मुक्त करें और मिट्टी को समतल बना दें. बेहतर उपज के लिए 3-4 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति एकड़ खेत में डालें.
- बीज की मात्रा और बुवाई
हरी खाद के लिए 20 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से बुवाई करें, जबकि बीज उत्पादन के लिए 8-10 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ उपयुक्त रहता है.
- सिंचाई की जरूरत
हरी खाद के लिए उगाई गई फसल को गर्मी में 3-4 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है. बीज उत्पादन के लिए उगाई गई फसल को फूल आने और बीज बनने के समय भरपूर पानी दिया जाना जरूरी है.
फसल की कटाई और मिट्टी में मिलाना
हरी खाद के रूप में उगाई गई फसल को 40-60 दिनों में मिट्टी में मिला देना चाहिए. वहीं, बीज उत्पादन के लिए बोई गई फसल की कटाई अक्टूबर के मध्य से नवंबर की शुरुआत तक की जा सकती है.