गेहूं, रबी सीजन की एक प्रमुख फसल लेकिन अक्सर इसमें खरपतवार लगने की आशंका रहती है. विशेषज्ञों की मानें तो गेहूं की फसल में सतनाशी, कृष्ण नील, वन गेहूं और पार्थेनियम जैसे खरपतवार लगने की आशंका ज्यादा रहती है. उनकी मानें तो अगर समय रहते इनका उपचार नहीं किया गया तो फसल का उत्पादन घट सकता है. इससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर सकता है और उनकी कमाई भी कम हो सकती है.
जारी की गईं गाइडलाइंस
गेहूं की फसल में खरपतवार की समस्या को ध्यान में रखते हुए बिहार के कृषि विभाग की तरफ से एडवाइजरी जारी की है. साथ ही उन्होंने इसके लिए रोकथाम के उपाय भी बताए हैं. गेहूं की फसल में सतनाशी, कृष्ण नील, वन गेहूं और पार्थेनियम जैसे खरपतवार अगर लग जाते हैं तो पूरी मेहनत बर्बाद हो जाती है. अगर समय पर इन्हें समय पर नियंत्रित नहीं किया गया, तो फसल का उत्पादन घट सकता है. गेहूं की फसल में खरपतवार को खत्म करने के लिए इन खरपतवारनाशी का प्रयोग किया जा सकता है.
सल्फोसल्फयूरॉन 75% डब्ल्यू.जी.
यह वन गेहूं, जंगली जई, आरी घास आदि सकरी पत्ती वाली खरपतवार को नष्ट करता है. इसका 13.5 ग्राम 6 लीटर पानी में 500 मिली लीटर सरफेक्टेन्ट मिलाकर प्रति एकड़ 120-200 लीटर पानी में घोलकर बुआई के 30-35 दिनों बाद छिड़काव करना चाहिए, या फिर क्लोडिनाफॉप प्रोपरजिल 15% डब्ल्यू.पी का 160 ग्राम प्रति एकड़ निर्धारित पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइन 20% डब्ल्यू.पी.
यह खरपतवारनाशी बथुआ, प्याजी, तीन पत्तियां, कृष्णनील आदि चौड़ी पत्ती वाली खरपतवार को नष्ट करता है. इसे 8 ग्राम 6 लीटर पानी में 200 मिली के सरफेक्टेन्ट को घोलकर 120-200 लीटर पानी में मिलाकर बुआई के 25-35 दिनों के बाद प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए.
सल्फोसल्फ्यूरॉन मिथाइल 75% + मेल्टसल्फ्यूरॉन मिथाइल 5% डब्ल्यू.जी.-
यह खरपतवारनाशी वन गेहूं और चौड़ी पत्ती वाली खरपतवार को प्रबंध करता है. इसका 16 ग्राम मात्रा 500 मिली के सरफेक्टेन्ट को घोलकर प्रति एकड़ निर्धारित पानी के घोल में मिलाकर छिड़काव करनी चाहिए.
2,4-डी ईथाइल ईस्टर 38% ई.सी.-
यह चौड़ी पत्ती वाली खरपतवार का प्रबंधन करता है. इसका 0-5 लीटर प्रति एकड़ निर्धारित पानी के घोल में गेहूं बुआई के 30-35 दिनों के बाद छिड़काव करनी चाहिए.
इन बातों का रखें खास ध्यान
हमेशा ध्यान रखें कि छिड़काव साफ मौसम में ही करना चाहिए. छिड़काव यंत्र में कटनोजल, फ्लडजेटनोजल या फ्लैफैन नोजल का प्रयोग करना चाहिए. छिड़काव के बाद उस दिन उस खेत में मानव या पशु गतिविधि या अन्य कोई गतिविधि नहीं होनी चाहिए. तेज हवा में या विशेष रूप से हवा की विपरीत दिशा में छिड़काव नहीं करना चाहिए. छिड़काव के दौरान आंख, मुंह, हाथ और नाक की सुरक्षा के लिए प्रोटेक्शन सूट और फेस मास्क के साथ-साथ पैरों में बूट जरूर पहनें.