खेती के जरिए मजबूत हो रहे भारत-नेपाल के रिश्ते, हुआ नया समझौता

इस यात्रा में भारत सरकार, कृषि मंत्रालय और ICAR के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे. यह एक औपचारिक मुलाकात नहीं थी, बल्कि दोनों देशों के बीच कृषि क्षेत्र में भविष्य और किसानों के जीवन में बदलाव लाने की दिशा में एक ठोस कदम था.

नोएडा | Published: 10 Apr, 2025 | 07:48 AM

खेती-किसानी केवल खेतों तक सीमित नहीं रह गई है, अब यह देशों के रिश्तों को भी मजबूत बना रही है. कुछ ऐसा ही देखने को मिला जब भारत के केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान नेपाल की राजधानी काठमांडू पहुंचे. यहां उन्होंने नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को लेकर गहन चर्चा की.

बैठक में दोनों नेताओं ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच पुराने और भरोसेमंद रिश्तों को खेती जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में और मजबूत करना जरूरी है, ताकि दोनों देशों के किसानों को सीधा फायदा मिल सके.

मजबूती की दिशा में कदम

इस अहम बैठक में दोनों नेताओं ने भारत और नेपाल के बीच पारंपरिक और मैत्रीपूर्ण संबंधों को और आगे ले जाने पर जोर दिया. खासकर खेती-बाड़ी, उर्वरक उत्पादन और कृषि व्यापार जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करने की जरूरत महसूस की गई. चौहान ने यह भी दोहराया कि भारत, नेपाल को खेती के हर मोर्चे पर तकनीकी और बुनियादी सहयोग देने को पूरी तरह तैयार है.

कृषि-औद्योगिक पार्क बना चर्चा का केंद्र

मुलाकात के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने नेपाल के चितवन जिले में एक आधुनिक कृषि-औद्योगिक पार्क और उर्वरक संयंत्र की स्थापना की योजना को साझा किया. नेपाल ने भी इस प्रस्ताव पर रुचि दिखाई और दोनों पक्षों ने मिलकर इस दिशा में तेजी से काम करने का संकल्प लिया.

भारत-नेपाल के बीच हुआ नया समझौता

भारत और नेपाल ने इस यात्रा के दौरान कृषि क्षेत्र में सहयोग को लेकर एक नया समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए. यह समझौता 1991 में हुए पुराने समझौते की जगह लेगा और इसे ज्यादा आधुनिक और व्यावहारिक माना जा रहा है. इसके तहत दोनों देशों के बीच खेती की नई तकनीक, अनुसंधान, प्रशिक्षण, फसल की गुणवत्ता, जलवायु के अनुकूल खेती और कृषि शिक्षा जैसे क्षेत्रों में साझा प्रयास होंगे.

भूटान के साथ भी सहयोग की नई राह

नेपाल यात्रा के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने भूटान के कृषि मंत्री यूंटेन फुंटशो से भी द्विपक्षीय बैठक की. इस बातचीत में सिंचाई व्यवस्था, बड़े कृषि फार्मों का विकास और तकनीकी सहयोग जैसे विषयों पर विचार हुआ. भूटान ने भारत से संसाधनों और वित्तीय सहायता के रूप में अधिक सहयोग की मांग की, जिसे भारत ने सकारात्मक रूप से लिया.

बिम्सटेक (BIMSTEC) मंच पर क्षेत्रीय सहयोग की चर्चा
इस यात्रा के दौरान आयोजित तीसरी बिम्सटेक कृषि मंत्रिस्तरीय बैठक में भी चौहान ने हिस्सा लिया. उन्होंने बिम्सटेक महासचिव इंद्रमणि पांडे से मुलाकात की और खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, कृषि तकनीक, और बीज विकास जैसे अहम मुद्दों पर सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की.

चौहान ने बिम्सटेक के अंतर्गत चल रहे कृषि छात्रवृत्ति कार्यक्रम, प्रशिक्षण कार्यशालाएं, और नैनो तकनीक जैसे नए क्षेत्रों में प्रशिक्षण देने की भारत की प्रतिबद्धता जताई. साथ ही, नई दिल्ली में प्रस्तावित ‘बिम्सटेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ की स्थापना में भी भारत की प्रमुख भूमिका की पुष्टि की.

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर

बिम्सटेक महासचिव ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के क्षेत्र में भारत से तकनीकी सहयोग का अनुरोध किया. शिवराज सिंह चौहान ने इसमें पूर्ण समर्थन देने का भरोसा दिलाया. इससे बिम्सटेक देशों के बीच डिजिटल कृषि प्रथाओं और डेटा साझेदारी को नई गति मिलेगी.

आधुनिक कृषि के जरिए मजबूत होते रिश्ते

इस यात्रा में भारत सरकार, कृषि मंत्रालय और ICAR के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे. यह दौरा सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं थी, बल्कि भारत और नेपाल के बीच कृषि क्षेत्र में भविष्य की साझेदारी और किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक ठोस कदम था. यह पहल भारत-नेपाल संबंधों को नई ऊर्जा और आधुनिक सोच के साथ जोड़ने का संकेत है.