नारियल को हमारे देश में “कल्पवृक्ष” कहा जाता है, क्योंकि इस पेड़ का हर एक हिस्सा उपयोग किया जाता है. साथ ही भारत दुनिया के सबसे बड़े नारियल उत्पादक देशों में से एक है. इसकी बाजार में मांग की वजह से किसान नारियल की खेती करना पसंद कर रहे हैं. लेकिन कई बार सख्त दिखने वाला ये पेड़ अचानक ही सूखने लगता है. सबसे पहले इस पेड़ की पत्तियां सूख जाती है और फिर पेड़ पूरी तरह मर जाता है. इसका असर आसपास के पेड़ों पर भी पड़ने लगता है.
अगर आपके नारियल के पेड़ की पत्तियां पीली या भूरी हो रही हैं, नई पत्तियां कमजोर और छोटी दिख रही हैं या पेड़ की टहनियों पर काले धब्बे और रिसाव दिख रहा है, तो यह किसी रोग या पोषक तत्वों की कमी का संकेत हो सकता है. आइए जानते हैं नारियल के पेड़ के सूखने के कारण और उसके समाधान.
नारियल के पेड़ के सूखने के कारण
फंगल इंफेक्शन: नारियल के पेड़ों को फाइटोफ्थोरा पामिवोरा, फ्यूसैरियम और थिएलाविओप्सिस पैराडॉक्सा जैसे फंगल इंफेक्शन लग जाते है, जिससे पेड़ के पोषक तत्वों और जल परिवहन प्रणाली पर असर पड़ता है.
पर्यावरण में बदलाव: अत्यधिक सूखा, लवणता, जलभराव या खराब जल निकासी की स्थिति में नारियल के पेड़ में रोग लग सकते हैं.
पोषक तत्वों की कमी: पोटेशियम, मैग्नीशियम और बोरॉन की कमी नारियल के पेड़ को कमजोर कर सकती है, जिससे वे रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं.
कीट संक्रमण: गैंडे के भृंग और लाल ताड़ के घुन जैसे कीट नारियल के पेड़ को नुकसान पहुंचाते हैं.
नारियल के पेड़ के सूखने के लक्षण
-पुरानी पत्तियों का पीला या भूरा पड़ना, जो सिरे से शुरू होकर आखिर तक फैलता है.
-नई पत्तियां कमजोर और छोटी दिखने लगती हैं.
-पेड़ के मुकुट में गिरावट देखी जा सकती है.
-यदि संक्रमण गंभीर हो जाए तो पेड़ पूरी तरह सूख कर नष्ट हो सकता है.
-पत्तियों के आधार पर काले धब्बे या रिसाव फंगल संक्रमण के संकेत हो सकते हैं.
रोकथाम और प्रबंधन
कृषि प्रबंधन
पेड़ों को सही दूरी पर लगाएं, ताकि हवा का संचार बना रहे और ज्यादा नमी जमा न हो. साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जैविक खाद और उर्वरकों का सही इस्तेमाल करें. जलभराव से बचाव के लिए खेत में सही ड्रेनेज सिस्टम बनाएं और रोगग्रस्त पत्तियों और शाखाओं को तुरंत हटा दें, ताकि संक्रमण न फैले.
रासायनिक उपचार
फंगल संक्रमण से बचाव के लिए कॉपर-आधारित कवकनाशी या फोसेटाइल-एल्यूमीनियम (2 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें. बोरॉन और मैग्नीशियम युक्त उर्वरकों का छिड़काव करें, ताकि पेड़ मजबूत बने.
जैविक उपचार
ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक कवकनाशी का इस्तेमाल करें, जो फंगस को खत्म करने में मदद करता है. साथ ही मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों का प्रयोग करें, जो पेड़ की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं.
कीटों से बचाव
गैंडे के भृंग और लाल ताड़ के घुन की निगरानी करें और उनके संक्रमण को जैविक या रासायनिक तरीकों से नियंत्रित करें. पेड़ के आसपास सफाई बनाए रखें, ताकि कीटों का हमला कम हो.