मक्का की खेती किसानों के लिए हमेशा से फायदेमंद रही है, लेकिन अब पारंपरिक मक्के के अलावा किसानों के बीच काला मक्का तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. दरअसल, काला मक्का एक पोषक तत्वों से भरपूर अनाज है, जिसे आम मक्के की तुलना में सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है.
इसमें एंथोसायनिन नाम का प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जो इसे काला रंग देता है और इसमें कैंसर रोधी गुण मौजूद होते हैं. जिसकी वजह से बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. चलिए जानते हैं तो आप भी काले मक्के की खेती क्यों कर सकते हैं?
काले मक्के की खासियत
काले मक्के की पहचान इसके गहरे काले, कत्थई या बैंगनी रंग से की जाती है. पहली नजर में ये किसी को जला हुआ मक्का ही नजर आएगा. इसे जवाहर मक्का 1014 नाम से विकसित किया गया है. इसमें सामान्य मक्के की तुलना में आयरन, जिंक, कॉपर और एंथोसायनिन की अधिक मात्रा पाई जाती है, जो इसे पोषक तत्वों से भरपूर और सेहत के लिए फायदेमंद बनाते हैं.
काले मक्के से मुनाफा
पारंपरिक मक्के की कीमत बाजार में 200 से 2700 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास रहती है, लेकिन काले मक्का की कीमत उत्पादन कम होने की वजह से कहीं ज्यादा होती है. बाजार में इस मक्का की डिमांड बहुत ज्यादा है, जिसकी वजह से इसकी कीमत में लगातार इजाफा हो रहा है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर एक काले भुट्टे की कीमत 200 रुपये तक मिल रही है. किसानों के पास इसकी खेती करने का सबसे उचित समय है.
काला मक्के की खेती के लिए आवश्यक बातें
1. जलवायु और मिट्टी
काले मक्के की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे जरूरी होती है. साथ ही सुनिश्चित जल निकासी वाली दोमट और बलुई दोमट मिट्टी खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. मिट्टी का pH स्तर 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
2. बुवाई का समय
खरीफ सीजन: जून से जुलाई
रबी सीजन: अक्टूबर से नवंबर
वसंत ऋतु: फरवरी से मार्च
3. बीज की तैयारी और बुवाई
प्रति एकड़ 8-10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. ध्यान रहे बुवाई से पहले बीज का जैविक उपचार जरूर करवा दें, जिससे फसल को रोगों से सुरक्षा मिले. बीजों को 3-4 सेमी गहराई में बोना चाहिए और पौधों के बीच 20-25 सेमी की दूरी रखें.
4. सिंचाई प्रबंधन
मक्के की फसल को पहली सिंचाई 15-20 दिन बाद करनी चाहिए. फूल आने और दाने बनने की अवस्था में नियमित सिंचाई आवश्यक होती है और कटाई से 10-15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें ताकि अनाज का सही विकास हो सके.
5. उर्वरक प्रबंधन
गोबर की खाद या जैविक खाद का उपयोग करने से फसल अच्छी होती है. इसके साथ ही खेत में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित उपयोग करें.
6. फसल सुरक्षा
काला मक्का की फसल को तना छेदक कीट, फॉल आर्मी वर्म और जड़ गलन रोग से बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें. फसल पर नीम तेल या ट्राइकोडर्मा फफूंदनाशक का छिड़काव करने से कीटों और बीमारियों से बचाव किया जा सकता है.
कटाई और उत्पादन
काला मक्का 100-120 दिनों में तैयार हो जाता है. जब पौधों के पत्ते सूखने लगें और दाने कठोर हो जाएं, तब इसकी कटाई करें. औसतन प्रति एकड़ 20-25 क्विंटल उत्पादन संभव है.