एफिड्स, थ्रिप्स और सफेद मक्खी से कैसे बचाएं लहसुन की फसल? जानिए आसान उपाय

लहसुन के खेत में हर साल एक ही फसल लगाने से कीटों को पनपने का मौका मिल जाता है, क्योंकि वे मिट्टी में अंडे छोड़ते हैं और अगली बार भी वहीं उभर आते हैं.

नई दिल्ली | Published: 29 Apr, 2025 | 03:18 PM

लहसुन सिर्फ हमारे खाने का स्वाद नहीं बढ़ाता, बल्कि यह सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. लेकिन जब यही लहसुन की फसल खेतों में कीटों का शिकार बन जाती है, तो किसान के चेहरे की मुस्कान चिंता में बदल जाती है. “रस चूसने वाले कीट” जैसे एफिड्स (माहू), थ्रिप्स और सफेद मक्खी लहसुन के पौधों का रस चूसकर उन्हें कमजोर बना देते हैं. इससे पौधे पीले पड़ने लगते हैं, सूख जाते हैं और फलन पर भी असर पड़ता है.

अगर समय रहते इन कीटों पर काबू न पाया जाए, तो पूरी फसल बर्बाद हो सकती है. लेकिन कुछ आसान और प्रभावी उपायों को अपनाकर इन कीटों से निपटा जा सकता है. आइए जानते हैं लहसुन की फसल में रस चूसने वाले कीटों से बचाव के आसान तरीके.

समस्या को समय रहते पहचानना है जरूरी

अगर इन कीटों का समय रहते पता लगा लिया जाए, तो नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकता है. किसान को चाहिए कि वो अपनी फसल का नियमित रूप से निरीक्षण करे, खासकर पत्तियों के नीचे. यदि पत्तियां मुरझाई हुई, पीली या सिकुड़ी हुई दिखाई दें, या यदि छोटे-छोटे कीट नजर आएं, तो सतर्क हो जाना चाहिए. कई बार कीट इतने छोटे होते हैं कि नंगी आंखों से नहीं दिखते, लेकिन उनके निशान जैसे चिपचिपापन या पत्तियों पर काले धब्बे, उनकी मौजूदगी को दर्शाते हैं.

प्राकृतिक कीटभक्षी बन सकते हैं मददगार

प्राकृतिक कीटभक्षी जैसे लेडीबर्ड, लेसविंग और परजीवी ततैया इन रस चूसने वाले कीटों का शिकार करके उनकी संख्या कम कर सकते हैं. खेत के आसपास गेंदे, बबूने और यारो जैसे फूलों वाले पौधे लगाने से ये लाभकारी कीट खेत में आकर्षित होते हैं और प्राकृतिक रूप से कीटों पर नियंत्रण रखते हैं. यह तरीका न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि फसल की गुणवत्ता को भी सुरक्षित रखता है.

एक ही फसल बार-बार न लगाएं

लहसुन के खेत में हर साल एक ही फसल लगाने से कीटों को पनपने का मौका मिल जाता है, क्योंकि वे मिट्टी में अंडे छोड़ते हैं और अगली बार भी वहीं उभर आते हैं. इसीलिए फसल चक्र जरूरी है. लहसुन के बाद खेत में चना, मूंगफली या सरसों जैसी फसलें लगाई जाएं ताकि कीटों की जीवन-चक्र टूटे और उनकी संख्या कम हो.

जैविक स्प्रे से कीजिए कीटों का सफाया

जैविक तरीकों से कीटों को नियंत्रित करना आज की जरूरत है. नीम का तेल एक बेहतरीन जैविक कीटनाशक है जो एफिड्स, थ्रिप्स और सफेद मक्खी जैसे कीटों पर असरदार होता है. इसे पानी में मिलाकर पत्तियों पर छिड़काव करने से कीटों की संख्या में तेजी से कमी आती है. बाजार में और भी जैविक स्प्रे उपलब्ध हैं, लेकिन उनका प्रयोग करते समय निर्देशों का पालन करना जरूरी है.

साथी पौधों का दें सहारा

कुछ पौधों की गंध इतनी तेज होती है कि वे कीटों को दूर भगा देती हैं. लहसुन के साथ पुदीना, चिव्स या प्याज जैसे पौधे लगाने से कीट फसल के पास नहीं आते. यह एक पारंपरिक तरीका है, लेकिन बेहद असरदार.

खेत को रखें साफ-सुथरा

खेत में सफाई रखना भी बहुत जरूरी है. सूखे या सड़े-गले पौधों को समय-समय पर हटाते रहें क्योंकि ये कीटों के लिए आरामगाह बन जाते हैं. संक्रमित पौधों को तुरंत खेत से निकालकर नष्ट कर देना चाहिए ताकि बीमारी या कीट दूसरों तक न फैले.