गोंद, जिसे आमतौर पर हम Edible Gum के नाम से भी जानते हैं, सर्दी के मौसम में खासतौर पर इस्तेमाल होने वाली एक अहम सामग्री है. यह गोंद प्राकृतिक रूप से कुछ विशेष प्रकार के पेड़ों से निकलता है, और इसकी प्रक्रिया पेड़ से लेकर पाउडर बनने तक बेहद दिलचस्प होती है. चलिए, जानते हैं कि गोंद कैसे बनता है, और इसके उत्पादन की यात्रा किस प्रकार होती है.
1. गोंद का स्रोत
गोंद मुख्य रूप से Acacia (बबूल) और किकर के पेड़ से निकलता है. इन पेड़ों की छाल या तनों में कुछ प्राकृतिक छेद होते हैं, जिनसे गोंद बाहर निकलता है. यह गोंद गर्मियों के दौरान पेड़ से बाहर निकलता है, जब पेड़ में गर्मी के कारण हलचल होती है. यह गोंद दिखने में एक चिपचिपे पदार्थ जैसा होता है और धीरे-धीरे यह कठोर हो जाता है.
2. गोंद का संकलन
जब पेड़ से गोंद बाहर आता है, तो वह कुछ समय तक गाढ़ा और चिपचिपा होता है. इसे उस अवस्था में पत्तियों और अन्य कचरे से अलग किया जाता है. फिर प्राकृतिक रूप से सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है. इस प्रक्रिया में गोंद का रंग भी हल्का होता है.
3. सूखने के बाद
गोंद के सूखने के बाद यह कठोर हो जाता है और पत्थर की तरह क्रिस्टलीय रूप में बदलने लगता है. यह क्रिस्टल बहुत ही मजबूत और कठोर होते हैं. इन्हें तोड़कर छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट लिया जाता है. इस दौरान गोंद की गुणवत्ता और सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है ताकि यह खाने योग्य और स्वास्थ्यवर्धक बने.
4. पाउडर बनाने की प्रक्रिया
जब गोंद के टुकड़े पूरी तरह से सूख जाते हैं और तैयार हो जाते हैं, तो इन्हें बहुत ही महीन पाउडर में पीस लिया जाता है. यह पाउडर साफ, हल्का और बिना किसी गंध के होता है. गोंद के पाउडर को छानकर और अच्छे से मिलाकर इसकी गुणवत्ता को और बेहतर किया जाता है. इसे पाउडर के रूप में विभिन्न खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि गोंद के लड्डू, और अन्य पारंपरिक मिठाइयां.
5. उपयोग और लाभ
गोंद का पाउडर उपयोग में लाने से पहले इसे अच्छे से भूनकर या सेंककर खाने योग्य बनाया जाता है. यह सर्दियों में शरीर को गरमी देने के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इसके साथ ही, गोंद में काफी सारे पोषक तत्व होते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने, खून की कमी को पूरा करने और शरीर को ऊर्जा देने में मदद करते हैं.