आम को फलों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता. इसका स्वाद, खुशबू और रसीलापन हर किसी को दीवाना बना देता है. पश्चिम बंगाल में उगने वाले ‘हिमसागर’ आम की तो बात ही अलग है. इसका नाम सुनते ही आम प्रेमियों की जुबान पर पानी आने लगता है. यह आम पश्चिम बंगाल की शान माना जाता है और इसे GI टैग भी हासिल हो चुका है. इससे अब यह आम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचाना बना चुका है.
बस एक महीने ही बिकता है
हुगली और नदिया जिला पश्चिम बंगाल के प्रमुख आम उत्पादक क्षेत्र माने जाते हैं. हालांकि, मालदह और मुर्शिदाबाद क्षेत्र अब भी इस राज्य के सबसे उन्नत आम उत्पादक बेल्ट माने जाते हैं. इस बेल्ट में हिमसागर, लखनभोग, किशनभोग, भुटो बंबई, गोलपखास जैसी कई बेहतरीन किस्में उगाई जाती हैं. हिमसागर आम की पहचान है इसका हल्का पीला रंग और हल्की हरी झलक. इसकी खुशबू तेज नहीं होती बल्कि सौम्य होती है. यह आम मई के दूसरे हफ्ते से जून तक बाजार में उपलब्ध रहता है और स्वाद में इतना लाजवाब कि जो एक बार खा ले, वो इसके स्वाद को भूले नहीं भूलता.
काम रेशे और चिकनी सतह
हिमसागर आम का आकार अंडाकार से थोड़ा तिरछा होता है. इसकी लंबाई लगभग 9 से 11 सेंटीमीटर और चौड़ाई 8 से 9 सेंटीमीटर तक होती है. इसका वजन आम तौर पर 217 से 224 ग्राम के बीच होता है, हालांकि कुछ फल 300 ग्राम से भी भारी पाए गए. फल की सतह चिकनी होती है और इसके रेशे लगभग न के बराबर होते हैं. इसके अलावा कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार एक बीज का वजन 14.6 से 16.8 ग्राम और लंबाई लगभग 3.8 से 4.9 सेंटीमीटर तक की होती हैं.
बढ़ती मांग के कारण सरकार भी कर रही मदद
GI टैग मिलने के बाद हिमसागर आम की मांग देश ही नहीं, विदेशों में भी बढ़ी है. जिससे किसान इसे विदेशों में एक्सपोर्ट कर इंकम सोर्स को बढ़ा रहें है. सरकार भी इस दिशा में सहयोग कर रही है. हर साल जब हिमसागर आम का सीजन आता है, तो बाजार में इसकी जबरदस्त मांग होती है. आप चाहें तो इसे ऑनलाइन ऑर्डर कर इसका स्वाद घर बैठे आसानी से चख सकते है.