खेती को सही तरीके से और प्लानिंग के साथ किया जाए तो यह भी मुनाफे का सौदा बन सकती है. यह मुनाफा बनाया है गुजरात के किसान धीरेंद्रकुमार भानुभाई देसाई ने केले की खेती करके. वह पिछले 34 सालों से खेती कर रहे हैं और उन्होंने केले की खेती में टिश्यू कल्चर तकनीक का इस्तेमाल किया है. इससे उनकी फसल रोगमुक्त होने के साथ ही कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली बन गई है.
टिश्यू कल्चर से तीन गुना उत्पादन
भरूच जिले के पनेठा गांव के 51 साल के किसान धीरेंद्रकुमार भानुभाई देसाई ने 1991 में पढ़ाई पूरी करने के बाद जब उन्होंने पारिवारिक खेती संभाली, जहां उन्होंने गन्ने और केले की खेती से शुरुआत की. 34 साल से खेती-किसान करने वाले धीरेंद्र कुमार अब आधुनिक तकनीक और विधियों का इस्तेमाल कर रहे है. इससे उन्हें कम लागत में ज्यादा उपज के साथ बेहतर क्वालिटी भी मिल रही है.
27 महीने में तीन गुना मुनाफा बढ़ा
उन्होंने स्मार्ट खेती को अपनाते हुए ड्रिप सिंचाई, टिशू कल्चर तकनीक से केला की खेती और इंटीग्रेटेड बायो न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट (IBNM) के बारे में जाना और कम पानी और ज्यादा उपज वाले सिद्धांतों को अपनाते हुए खेती शुरू की. इसके साथ उन्होंने केले की नई किस्म ग्रैंड नाइन (G9) की खेती टिश्यू कल्चर के साथ ड्रिप सिंचाई, ग्रीन मैन्योरिंग और बायो-कंपोस्टिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कर एक ही बार में खेती से 27 महीने में तीन गुना फसलों का मुनाफा कमाया.
किसानों को ट्रेनिंग देकर उनकी आय भी बढ़ाई
स्मार्ट खेती अपनाने से उनकी फसलों की उपज 15 टन प्रति एकड़ से बढ़कर 35 टन प्रति एकड़ हो गई है, और आज वह 40 एकड़ में उन्नत तकनीक से खेती कर रहे हैं. धीरेंद्रकुमार ने न सिर्फ अपनी किस्मत बदली, बल्कि गांव के अन्य किसानों की भी मदद की. उन्होंने केला उत्पादक सहकारी समिति बनाकर किसानों को बेहतर बाजार और मुनाफा दिलाने में मदद की. आज उनकी इस तकनीक को गुजरात, महाराष्ट्र, एमपी और यूपी में 1000 से ज्यादा किसान अपनाकर अपनी आय को बढ़ रहें हैं.
केले के अलावा इन फसलों की भी खेती की
केले के अलावा उन्होंने ब्राजीलियन ‘नटाल’ वैरायटी की संतरे की खेती और गांव में केला चिप्स यूनिट लगाकर स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा दिया. उनकी इस मेहनत और नवाचार कारण उन्हें 30 से ज्यादा पुरस्कार दिए गए जिनमें IARI इनोवेटिव फार्मर अवॉर्ड, जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार, और MFOI 2024 नेशनल अवॉर्ड.