आजकल लोग अपने घरों में ताजा सब्जियां उगाने का शौक रखते हैं. ऐसे में गमलों में पत्ता गोभी उगाना भी एक अच्छा ऑप्शन है, क्योंकि यह न केवल आसानी से उगाई जा सकती है, बल्कि यह ताजगी और स्वाद में भी बहुत अच्छी होती है. खास बात है कि घर पर उगाई गई ताजी पत्ता गोभी से आपको स्वाद और सेहत दोनों का लाभ मिलेगा. तो चलिए, जानें कैसे आप गमले में पत्ता गोभी उगा सकते हैं.
पत्ता गोभी उगाने के आसान तरीके
गमला और मिट्टी तैयार करें
सबसे पहले, आपको एक बड़ा गमला चाहिए होगा, ताकि पौधे की जड़ें अच्छे से फैल सकें. गमला कम से कम 10-12 इंच गहरा होना चाहिए. अब इसमें अच्छी मिट्टी और सड़ी हुई गोबर की खाद का मिश्रण डालें. अगर आपके पास रेत है, तो आप उसे भी मिला सकते हैं, ताकि मिट्टी की जल निकासी सही से हो. इस मिश्रण को गमले में अच्छे से भरें.
बीज बोना और पानी देना
पत्ता गोभी के बीज को लगाते समय ध्यान रखें कि गमले में बीज को 1-2 इंच की गहराई पर ही लगाएं. बीजों के बीच थोड़ा अंतर छोड़ें ताकि पौधे को फैलने के लिए जगह मिल सके. बीज बोने के बाद, गमले को हल्का पानी दें. ध्यान रखें कि बीज को ज्यादा पानी से न डुबोएं, बस मिट्टी को हल्का नम रखें.
धूप और पानी
पत्ता गोभी को अच्छे से बढ़ने के लिए धूप की आवश्यकता होती है, इसलिए गमले को ऐसी जगह रखें जहां कम से कम 6 घंटे की सीधी धूप मिल सके. साथ ही, पानी देने में भी संतुलन बनाए रखें. खासकर जब पौधे छोटे होते हैं, तो उन्हें नियमित रूप से पानी दें, लेकिन ज्यादा पानी से बचें.
कीटों से बचाव और खाद देना
पत्ता गोभी के पौधों में कीटों की समस्या जल्दी आ सकती है, इसलिए इसके लिए आप नीम तेल का उपयोग कर सकते हैं. यह जैविक तरीका है जो कीटों से बचाने में मदद करता है. जब पौधे थोड़ा बड़े हो जाएं, तो आप जैविक खाद दे सकते हैं. आप घर पर ही सब्जियों के छिलकों से खाद बना सकते हैं, जो पौधों के लिए बहुत फायदेमंद होती है. 25-30 दिन बाद इसमें खाद जरूर डालें.
कटाई
पत्ता गोभी की कटाई तब करें जब इसके सिर पूरी तरह से ठोस हो जाएं. यह पौधे 60-80 दिन में तैयार हो जाते हैं. जब पत्ता गोभी तैयार हो जाए, तो आप इसे काटकर ताजे रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. यह खास बात है कि गमले में उगाई गई पत्ता गोभी में कोई केमिकल नहीं होता, जबकि बाजार में अक्सर केमिकल वाली पत्ता गोभी मिलती है.
पत्ता गोभी की किस्में-
पंत गोभी-3
पटना अर्ली
पूसा कतकी
अर्ली कुँआरी
पूसा दीपाली
पूसा अर्ली सिन्थेटिक