आलू आम भारतीयों की रोजमर्रा के भोजन का अहम हिस्सा है. यह एक ऐसी फसल है जो देशभर में बड़े पैमाने पर उगाई भी जाती है. लेकिन आलू की खेती करने वाले किसानों के सामने फफूंद (फंगल) रोग एक बड़ी परेशानी के रूप में उभर रहा है.
ये रोग न केवल आलू की उपज को प्रभावित करता है, बल्कि फसल की क्वालिटी और किसानों की आमदनी पर भी सीधा असर डालता है. खेती एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर समय पर सही उपाय न किए जाएं तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है.
फफूंद का मुख्य कारण
आलू की फसल में फफूंद रोग का सबसे बड़ा कारण होता है पौधे की प्रतिरोधक क्षमता में कमी, मिट्टी में जीवाणुओं की मौजूदगी और नमी की अधिकता का होना. आलू की फसल को लेट ब्लाइट (Phytophthora infestans) और अर्ली ब्लाइट (Alternaria solani) जैसे रोग सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. ये रोग पत्तियों पर काले धब्बे, तनों के सड़ने और कंदों के गलने जैसे लक्षणों के रूप में सामने आते हैं.
फसल बचाव और नियंत्रण के तरीके-
अच्छी किस्मों का चयन
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि रोग-प्रतिरोधी किस्मों का इस्तेमाल करने से फफूंद का असर काफी हद तक रोका जा सकता है. ऐसी किस्मों को विशेष रूप से इन रोगों के खिलाफ तैयार किया जाता है.
फसल चक्र अपनाएं
हर साल एक ही खेत में आलू उगाने से बचना चाहिए. इसके बजाय गेहूं, चना या अन्य फसलें उगाकर फसल चक्र अपनाना फंफूद से पैदा होने वाले रोगों को फैलने से रोक सकता है.
खेत की सफाई पर जोर
पुराने पौधों के अवशेष, इंफेक्टेड कंद और सड़े-गले पौधों को खेत से निकाल देना चाहिए. ये फफूंद रोग के प्रमुख स्रोत होते हैं.
जल निकासी का ध्यान रखें
आलू की फसल में अधिक नमी फफूंद रोग को बढ़ावा देती है. इसलिए खेत में जलभराव न होने दें और सिंचाई केवल आवश्यकता के हिसाब से करें.
पेस्टिसाइड का इस्तेमाल
फफूंद रोग के कंट्रोल के लिए कृषि विभाग से रजिस्टर्ड पेस्टिसाइड का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके साथ ही, ऑर्गेनिक फफूंदनाशकों जैसे ट्राइकोडर्मा या अन्य माइक्रोबियल एजेंट का इस्तेमाल भी कारगर साबित हो रहा है. बीमारी से बचाने के लिए पौधों की नियमित जांच करें और जैसे ही पत्तियों पर धब्बे या पौधे में कमजोरी दिखे, तुरंत उपचार शुरू करें.
मैनेजमेंट
फफूंद रोग पर टिकाऊ कंट्रोल के लिए ऑर्गेनिक, केमिकल और दूसरे उपायों को मिलाकर अपनाना चाहिए. इससे फसल पर दवा का बोझ भी कम होता है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है.
खेती एक्सपर्ट्स के मुताबिक फफूंद रोग से आलू की फसल को सुरक्षित रखना पूरी तरह संभव है, बस जरूरत है समय पर पहचान, सही जानकारी और सावधानीपूर्वक मैनेजमेंट की. किसान अगर इन उपायों को अपनाएं तो न केवल उत्पादन में इजाफा हो सकता है, बल्कि फसल की क्वालिटी भी बेहतर बनी रह सकती है.