लोबिया की खेती साल में दो बार की जाती है. गर्मियों के लिए लोबिया की खेती फरवरी से मार्च के बीच वहीं बरसात के लिए लोबिया की खेती जून से जुलाई के बीच करनी चाहिए. लोबिया पोषक तत्वों से भरपूर और एक व्सवसायिक फसल है. लोबिया हरी फली, सूखे बीज, हरी खाद और चारे के लिए पूरे भारत में उगाई जाने वाली वार्षिक फसल है. अगले एक महीने के बाद यानी जून में किसान लोबिया की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. तो चलिए इस खबर में आपको बताते हैं कि किस तरह होती है लोबिया की खेती और किसानों को लोबिया की खेती से किस तरह मुनाफा होता है.
ऐसे करें लोबिया की खेती
लोबिया की खेती के लिए गर्म मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है. लेकिन बहुत ज्यादा गर्मी इसके पौधे के लिए हानिकारक होती है. आप लोबिया की खेती अंकुरण के जरिए कर सकते हैं. बीजों के अंकुरण के लिए आपको 20 डिग्री के आसपास तापमान की जरूरत होगी. लोबियी की खेती के लिए सबसे पहले मिट्टी की जांच करें और उसमें जरूर पोषक तत्व और खाद डालें. इसके बाद 3-4 बार गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए. लोबिया के बीजों को 3 से 4 सेमी गहराई में बोएं. बता दें कि लोबिया की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 25-30 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है. इस पूरी प्रक्रिया के बाद नियमित रूप से पौधे की सिंचाई करें. समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें और खरपतवारों को निकालते रहें. लोबिया की फसल बुवाई के बाद करीब 45 से 50 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
पोषक तत्वों से भरपूर है लोबिया
लोबिया में प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थायमीन, राइबोफ्लेविन, नियासीन, फाइबर, एंटीऑक्सीडेन्ट, विटामिन बी 2 और विटामिन सी जैसे कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं. इस लिहाज से लोबिया सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद होती है. आप लोबिया को अपनी डायट में शामिल कर कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निजात पा सकते हैं. स्किन के लिए भी लोबिया को काफी फायदेमंद माना जाता है.
किसानों को होता है मुनाफा
बरसात के मौसम में बाजार में लोबिया की मांग बढ़ जाती है. ऐसे में अगर कोई किसान लोबिया की खेती करते हैं तो यह उनके लिए एक अच्छा सौदा साबित हो सकती है. बता दें कि लोबिया की फसल जल्द ही तैयार हो जाती है और इसकी खेती में लागत भी कम आती है. लोबिया की खेती से किसानों को प्रति हेक्टेयर लगभग 100 कुंतल तक उपज मिल सकती है. बाजार में बढ़ती मांग के चलते लोबिया 60-80 रुपये प्रति किलो तक बिकती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है.