पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन में अब कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं भी हिस्सा लेंगे. किसान नेताओं का कहना है कि वह युवा पीढ़ी को खासकर पढ़ाई कर रहे नौजवानों को कृषि और किसानों के हालात के बारे में जागरूक करेंगे. चंडीगढ़ में संयुक्त बैठक में आगामी 30 मार्च तक आंदोलन कार्यक्रम को भी जारी किया गया है. इसके तहत 19 मार्च को केंद्र सरकार के साथ बैठक के साथ ही 21, 23 मार्च को भी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत अन्य राज्यों में किसान पंचायतों का आयोजन किया जाएगा.
संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक (SKM NP) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के नेताओं ने किसान भवन चंडीगढ़ में एमएसपी और आंदोलन को लेकर मंथन हुआ. इस सम्मेलन में विशेषज्ञों ने MSP, MSP गारंटी कानून और इसके किसानों के जीवन पर प्रभाव को लेकर विचार रखे. पंजाब विश्वविद्यालय के डॉ. विनोद चौधरी, पूर्व वैज्ञानिक (ICAR) डॉ. वरिंदर लाठर और चौधरी पुष्पिंदर सिंह ने मुख्य रूप से किसान नेताओं को संबोधित किया.
विधायकों के दफ्तर, कार्यालय का घेराव होगा
दोनों किसान संगठनों की ओर से बताया गया कि 21 मार्च को कार्यकर्ता घनौर, शुत्राणा, अंबाला और नरवाना के विधायकों को ज्ञापन सौंपेंगे. इसमें उनके निर्वाचन क्षेत्रों में खराब सड़क और बुनियादी ढांचे की ओर ध्यान आकर्षित किया जाएगा. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि विधायक उनके ज्ञापन को स्वीकार नहीं करेंगे, तो वे उनके घरों और कार्यालयों के सामने 2 घंटे का धरना देंगे.
23 मार्च को शहीद दिवस पर जुटेंगे किसान
किसान नेताओं ने कहा कि 23 मार्च को शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत दिवस को शंभू बॉर्डर, खनौरी और रत्तनपुरा बॉर्डर पर मनाया जाएगा. उन्होंने लोगों से शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचने की अपील की. इस दौरान युवाओं को क्रांतिकारियों के प्रति जागरूक किया जाएगा. जबकि, किसान आंदोलन को लेकर भी मंथन होगा.
नस्ल बचाओ फसल बचाओ अभियान
दोनों मंचों ने 30 मार्च से फसल बचाओ नस्ल बचाओ अभियान शुरू किया जाएगा. इस अभियान में 8वीं कक्षा से ऊपर के छात्रों को जोड़ा जाएगा. दोनों मंच सभी विश्वविद्यालयों के छात्रों को इस अभियान का हिस्सा बनने और शंभू व खनौरी बॉर्डर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आमंत्रित करेंगे.
इसके अलावा नेताओं ने पंजाब में हाल ही में राजमार्गों और पाइपलाइनों के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा की गई ज्यादतियों की निंदा की. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि किसानों की जमीन को जबरन अधिग्रहण करने से बचा जाए और बाजार दरों के अनुसार उचित मुआवजा दिया जाए. आगामी बजट सत्र को लेकर दोनों मंचों के नेताओं ने मांग की कि AAP सरकार मौजूदा किसान आंदोलन की 12 मांगों के पक्ष में एक प्रस्ताव पारित करे और इसे केंद्र सरकार को भेजे. उन्होंने यह भी जोर दिया कि मौजूदा किसान आंदोलन और पिछले आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए आगामी बजट में विशेष धन आवंटित किया जाए.