कर्नाटक के 14 जिलों में 1.48 लाख हेक्टेयर में लगे नारियल के पेड़ सफेद मक्खी रोग से प्रभावित हैं, उद्योग मंत्री एम. बी. पाटिल ने 14 मार्च को विधानसभा को बताया. वहीं तुमकुरु जिले के विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर राज्य सरकार से सफेद मक्खी के रोग का उचित समाधान करने का आग्रह किया है. इस प्रकोप ने नारियल की पैदावार को गंभीर तौर पर प्रभावित किया है. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में नारियल की कीमतें बढ़ सकती हैं.
50 फीसदी तक गिरी नारियल की पैदावार
अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार सुरेश बाबू (जेडी) के एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि तुमकुरु में 64,457 हेक्टेयर और हासन जिलों में 34,530 हेक्टेयर में लगे नारियल के पेड़ सफेद मक्खियों की भारी आबादी से प्रभावित हैं. यह रोग इतने बड़े स्तर पर फैला है कि इसने चिकमगलूर, मंड्या, मैसूर, दावणगेरे, चित्रदुर्ग, शिवमोग्गा, दक्षिण कन्नड़, चामराजनगर, रामनगर, बेंगलुरु ग्रामीण और कोलार जिलों में नारियल की पैदावार को प्रभावित किया है. इस साल नारियल की पैदावार में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट की वजह से कीमत में वृद्धि हुई है. सी बी सुरेश बाबू ने कहा कि एक सफेद मक्खी एक नारियल के पेड़ की एक शाखा पर हजारों अंडे दे सकती है, जिससे वह पेड़ पूरी तरह से नष्ट हो सकता है.
100 की जगह बस 20 नारियल
सुरेश बाबू ने कहा कि आदर्श तौर पर एक नारियल के पेड़ से 100 नारियल मिलते हैं लेकिन इस रोग की वजह से यह घटकर सिर्फ 20 नारियल ही रह गया है. सरकार को इस समस्या को रोकने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए. बागवानी मंत्री एस एस मल्लिकार्जुन की ओर से जवाब देते हुए भारी और मध्यम उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने कहा कि नारियल की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करके इन बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है. उन्होंने बताया कि एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन योजना के तहत नारियल विकास बोर्ड के अंतर्गत 15.31 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इस योजना के तहत प्रति हेक्टेयर 35 हजार रुपये दो साल के लिए दिए जाएंगे.
किसानों को किया जा रहा जागरुक
पाटिल ने बताया कि साल 2023-24 में 60.33 करोड़ रुपये 34617 हेक्टेयर पर 50612 किसानों के प्रदर्शन के दौरान खर्च हो गए थे. सरकार की मानें तो सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए रसायनों का प्रयोग बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं रहा है. ऐसे में किसानों को इसके प्रति जागरुक किया जा रहा है. पाटिल के अनुसार ड्रोन का प्रयोग करके रसायनों को छिड़काव भी नारियल के पेड़ों पर प्रभावी नहीं होगा.