तेलंगाना में किसान टमाटर की कीमतों में भारी गिरावट के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं. टमाटर की कीमत में भारी गिरावट आई है. वर्तमान समय में 2 से पांच 6 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है. यह कीमत सामान्य बाजार दर से बहुत कम है. कीमत इतनी में गिरावट की वजह से किसानों को ट्रांसपोर्टेशन और मजदूरी समेत अपनी लागतों को पूरा करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. राज्य में टमाटर ने अब किसानों को बर्बाद कर दिया है.
किसानों ने सड़कों पर फेंके टमाटर
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार टमाटर की लगातार गिरती कीमतों ने अब संकट का रूप धारण कर लिया है. कीमतें उस बिंदु पर पहुंच गई हैं जहां 25 किलोग्राम टमाटर की क्रेट अब 50 से 70 रुपये में बिक रही है. जबकि कुछ ही महीनों पहले इनकी कीमतें काफी ज्यादा थीं. चेवेल्ला बाजार में किसानों ने बताया कि टमाटर का 25 किलोग्राम का क्रेट सिर्फ 50 से 150 रुपये में बिक रहा है. कीमतों में भारी गिरावट की वजह से किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है.
कई किसान तो कम बिक्री दरों के कारण बुनियादी खर्च भी नहीं निकाल पा रहे हैं. टमाटर से बर्बाद हुए किसान अब विरोध प्रदर्शन पर उतर आए हैं. यहां पर भारी संख्या में किसानों को सड़कों पर टमाटर फेंकते हुए देखा गया है. यह प्रदर्शन गिरती कीमतों पर उनकी हताशा और निराशा को दर्शाता है. किसानों का तर्क है कि वो ट्रांसपोर्टेशन और लेबर कॉस्ट को भी नहीं निकाल पा रहे हैं.
किसानों ने मांगा मुआवजा
विरोध प्रदर्शन पर स्थानीय अधिकारियों का ध्यान गया है. किसान अब अपनी उपज के लिए उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं. टमाटर की कीमतों में भारी गिरावट ने क्षेत्र में खेती की आर्थिक स्थिरता के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं. किसान बाजार को स्थिर करने और अपनी फसलों के लिए सही मूल्य सुनिश्चित करने के लिए सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. जैसे-जैसे विरोध बढ़ रहा है किसानों की दुर्दशा कृषि क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों को भी सबके सामने ला रही है. कई किसान आगे निवेश करने के बजाय अपने खेतों को छोड़ने के कगार पर हैं. कीमतों में इस भारी गिरावट के कारण वे बीज, उर्वरक और कीट नियंत्रण जैसी बुनियादी परिचालन लागतों को भी वसूल नहीं कर पा रहे हैं, जो अक्सर 70,000 से 80,000 रुपये प्रति एकड़ होती है.
ज्यादा उपज बनी मुसीबत
प्रतिकूल परिस्थितियों खास तौर पर गर्मी के मौसम में रिकॉर्डतोड़ तापमान और भूजल की कमी के बावजूद इस साल टमाटर के रकबे में वृद्धि देखी गई. टमाटर किसानों के लिए चुनौतियां बहुत हैं. निराई, कटाई और छंटाई जैसे कामों के लिए महंगी मजदूरी ने किसानों पर असर डाला है. टमाटर के जल्दी खराब होने की प्रकृति के कारण कटाई के बाद होने वाला नुकसान भी ज्यादा है.
इसके अलावा टमाटर तेलंगाना में सात सरप्लस (अधिशेष) सब्जी फसलों की लिस्ट सूची में सबसे ऊपर है. बाकी फसलें बैंगन, गोभी, फूलगोभी, खीरा, गाजर और मूली हैं. पिछले पांच सालों में एक या दो सीजन में टमाटर की कीमतों में उछाल आया था. इससे उत्साहित होकर सब्जी किसानों ने इस साल बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती की. इस बदलाव के कारण उत्पादन खपत और निर्यात दोनों जरूरत से ज्यादा हो गया है.