टमाटर के पौधे पर अगर हो इस कीड़े का हमला तो तुरंत करें खास दवा का छिड़काव

विटामिन ए, सी, पोटेशियम और कई मिनिरल्‍स से लैस टमाटर की खेती भारत के बिहार, कर्नाटक, उत्‍तर प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्‍ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्‍यों में जमकर होती है.

Published: 23 Feb, 2025 | 03:49 PM

भारत समेत दुनिया के कई देशों में टमाटर एक मुख्य फसल के तौर पर उगाया जाता है. टमाटर की उपज को तब बेस्‍ट माना जाता है जब यह देखने में एकदम लाल हो और खाने में रसीला हो. लेकिन कई बार किसानों को शुरुआत में यह चिंता होती है कि जब टमाटर में फूल तो आ रहे हैं लेकिन उनमें फल नहीं निकलते. यह हर किसान की एक आम चिंता है. विशेषज्ञों की मानें तो यह समस्या निराशाजनक हो सकती है लेकिन इसके समाधान भी मौजूद हैं. उनका कहना है कि कई बार टमाटर के पौधे में कीड़े लग जाते हैं जो इसकी फसल को पूरी तरह से चौपट कर देते हैं.

तो पूरी फसल हो जाएगी चौपट

विटामिन ए, सी, पोटेशियम और कई मिनिरल्‍स से लैस टमाटर की खेती भारत के बिहार, कर्नाटक, उत्‍तर प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्‍ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्‍यों में जमकर होती है. वहीं अब ज्‍यादातर लोग अपने किचन गार्डेन में भी टमाटर उगाने लगे हैं. खेतों में खड़ी फसल हो या फिर किचन गार्डेन में लगा टमाटर का पौधा, अगर इस पर कीड़े लग गए तो फिर फसल पूरी तरह से नष्‍ट हो सकती है.

टमाटर के पौधे को पर्ण सुरंगक जैसे कीड़े सबसे ज्‍यादा नुकसान पहुंचाते हैं. यह कीड़ा अगर पौधे में लग जाए तो फिर उसमें फूल या फिर फल नहीं आ पाते हैं. जब पौधा नया होता है तब इस कीड़े का हमला होता है. इस स्थिति में पौधे को खासा नुकसान होता है. इस कीड़े के प्रकोप से पौधे की पत्तियां मुरझा जाती हैं और ऐसे में पौधे में फल या फूल आने की संभावना भी जीरो हो जाती है.

हाइब्रिड वैरायटी पर ज्यादा खतरा

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार यह कीड़ा पत्तियों के बीच में अंडा देता है. एक बार में यह 250 से 300 अंडे तक देता है. दो से तीन दिन बाद इससे मैगट निकलते हैं जो पत्तियों में सुरंग बनाकर उसके हरे भागों को खाकर खत्म कर देता है. सुरंगों में ही मैगट प्यूपा में बदल जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो हाइब्रिड वैरायटी में इस कीड़े के प्रकोप की आशंका ज्‍यादा रहती है.

तुरंत करें इसका छिड़काव

अगर टमाटर के पौधे पर इस कीड़े का हमला नजर आए तो इसके हमले वाली पुरानी और सूखी पत्तियों को पौधों से तोड़कर खत्‍म कर देना चाहिए. इसके बाद 4 प्रतिशत नीम गिरी पाउडर एक लीटर पानी में स्टीकर के साथ छिड़का करने पर फायदा होता है.

इमिडाक्लो प्रिड 200 एसएल 1.00 मिली प्रति तीन लीटर पानी में घोलकर बनाकर फल आने के पहले छिड़काव करने से भी यह समस्‍या नियंत्रित हो सकती है. फल या फूल आने की स्थिति में कीड़े का बहुत ज्‍यादा प्रकोप के समय डाइक्लोरोभास (0.03 प्रतिशत) का छिड़काव करने से भी इससे फायदा मिल सकता है.