भारत ने इस सीजन में अब तक 500,000 मीट्रिक टन चीनी निर्यात किया है, लेकिन इसकी गति पहले से ही धीमी हो रही है. माना रहा है कि भारत में चीनी का उत्पादन कम होने से कीमतों में इजाफा हो सकता है. साथ ही निर्यात बाजार में भी प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है. इंडस्ट्री के सूत्रों की मानें तो भारत सरकार की तरफ से तय एक मिलियन टन निर्यात के लक्ष्य को पूरा करने में भी संघर्ष करना पड़ सकता है.
कम हो सकता है चीन का कोटा
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे के हवाले से बताया कि ऐसी आशंका है कि एक मिलियन (टन) का कोटा वास्तव में कम हो सकता है. यह जानकारी एनुअल दुबई शुगर कॉन्फ्रेंस में सामने आई है. भारत ने पिछले महीने चालू सीजन के दौरान सितंबर 2025 तक एक मिलियन मीट्रिक टन चीनी निर्यात की अनुमति दी थी. इसका मकसद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक की मिलों को अतिरिक्त स्टॉक निर्यात करने और स्थानीय कीमतों को सहारा देने में मदद मिल सके.
अब तक कितना निर्यात
नाइकनवरे ने कहा कि अब तक कुल निर्यात लगभग 500,000 टन हो चुका है. यह निर्यात मुख्य तौर पर पड़ोसी देशों श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल के साथ-साथ पूर्वी अफ्रीका को किया गया है. वहीं मेयर इंडिया के रिसर्च लीड शशिकांत पंधारे ने कहा कि अब तक निर्यात अधिकतम 400,000 टन ही है और उन्होंने कहा कि गति धीमी हो रही है. उन्होंने उत्तर भारत में मिलों के बंद होने और बाकी जगहों पर खराब फसल की स्थिति के कारण होने वाले संघर्ष का भी जिक्र किया है. उन्होंने बताया कि सितंबर तक अधिकतम 700,000 टन निर्यात हो सकेगा लेकिन इस बात पर संदेह जताया कि सरकार कोटा में कोई बदलाव करेगी.
मुस्लिम देशों में बड़ी मांग
पंधारे ने बताया कि तंजानिया और बांग्लादेश जैसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देशों से मांग में उछाल आया है. उन्होंने कहा कि ऐसा रमजान की वजह से है जो 28 फरवरी से शुरू होने वाला है. तंजानिया के कागेरा शुगर के सीईओ संजीव मिश्रा ने कहा कि भारत के एक्सपोटर्स वर्तमान में बाकी वैश्विक स्रोतों की तुलना में ‘अवास्तविक कीमतों’ पर पेशकश कर रहे हैं. इस सीजन में चीनी निर्यात की अनुमति देने का भारत का फैसला कुछ व्यापारियों के लिए आश्चर्य की बात थी, क्योंकि फसल की समस्याओं के कारण इस सीजन में स्टॉक में गिरावट की उम्मीद थी.
क्या कहते हैं व्यापारी
भारत के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग में ज्वॉइन्ट सेक्रेटरी सचिव अश्विनी श्रीवास्तव ने सम्मेलन में बताया कि इस सीजन के अंत तक स्टॉक घटकर छह मिलियन टन रह जाएगा, जो एक साल पहले आठ मिलियन था. हालांकि, व्यापारी और उद्योग के सूत्रों ने कहा कि 2025/26 की गन्ना फसल के लिए दृष्टिकोण वर्तमान में अधिक अनुकूल है. सुकडेन इंडिया के प्रबंध निदेशक अनूप कुमार ने रॉयटर्स को बताया कि ‘बहुत अच्छी फसल आ रही है’ हालांकि अभी तक इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है. उन्होंने अनुमान लगाया कि अब तक केवल 150,000 टन का ही निर्यात किया गया है, जो कि ज्यादातर हिंद महासागर के आसपास के देशों को किया गया है.